• मप्र सरकार को पानी के निजीकरण पर करारा झटका

    जबलपुर ! मध्य प्रदेश के खंडवा नगर की जल प्रबंधन की व्यवस्था निजी कंपनी को सौंपने की कोशिश को करारा झटका लगा है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अजय मानिकराव खानविलकर व न्यायाधीश संजय यादव की खंडपीठ ने राज्य सरकार और नगर निगम खंडवा को निर्देश दिया है कि शहर की वर्तमान जल प्रबंधन प्रणाली में किसी भी तरह की तोड़-फोड़ नहीं करते हुए यथा-स्थिति आगामी आदेश तक बरकरार रखें। खंडवा निवासी चित्तरूपा पालित व अन्य की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था ...

    जबलपुर !  मध्य प्रदेश के खंडवा नगर की जल प्रबंधन की व्यवस्था निजी कंपनी को सौंपने की कोशिश को करारा झटका लगा है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अजय मानिकराव खानविलकर व न्यायाधीश संजय यादव की खंडपीठ ने राज्य सरकार और नगर निगम खंडवा को निर्देश दिया है कि शहर की वर्तमान जल प्रबंधन प्रणाली में किसी भी तरह की तोड़-फोड़ नहीं करते हुए यथा-स्थिति आगामी आदेश तक बरकरार रखें। खंडवा निवासी चित्तरूपा पालित व अन्य की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि देश में पहली बार खंडवा शहर में पानी का निजीकरण किया जा रहा है। जिसके तहत नगर निगम खंडवा व मध्य प्रदेश सरकार ने एक निजी कंपनी से 23 वर्ष की अवधि का समझौता किया है। इस समझौते के तहत खंडवा शहर के सारे वर्तमान सार्वजनिक जल स्त्रोत, नगर निगम खंडवा के हाथ से निकलकर निजी हाथ में चला जाएगा। समझौते के अनुसार सार्वजनिक पैसे से निर्मित और पिछले कई दशकों से चल रहे 280 सार्वजनिक बोरिंग व निकटस्थ सुक्ता बांध से खंडवा के लाखों लोगों को मिलने वाले पानी के कनेक्शन काट दिए जाएंगे। खंडवा शहर को मिलने वाला ग्राम चारखेडा से तवा नदी का पानी निजी कंपनी को मुहैया कराया जाएगा। निजी कंपनी के अलावा किसी को भी खंडवा में पानी बेचने नहीं दिया जाएगा। इस तरह से पानी का पाउच, बोतल का पानी, पानी का ठेला और पानी का टैंकर सब बंद हो जाएंगे।समझौते के अनुसार, खंडवा में एक बूंद पानी भी मुफ्त में जनता को मुहैया नहीं किया जाएगा। सभी को उपयोग के लिए पानी खरीदना ही होगा, वह चाहे कितना ही गरीब या असहाय क्यों न हो। इस तरह से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में जीने के अधिकार के तहत जनता को पीने का पानी मुहैया कराने के शासन के कत्र्तव्य को बाधित किया जाएगा।इस योजना की अधिसूचना सरकार द्वारा 20 अक्टूबर 2014 को जारी करने के बाद जब लोगों ने इसका विरोध किया, तो नगर निगम चुनाव के ठीक पहले नगर प्रवास पर आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने घोषणा की थी कि मध्य प्रदेश सरकार निजी कंपनी का पैसा लौटा देगी और यह सुनिश्चित करेगी कि लोगों को निगम से ही पानी प्राप्त होता रहे। मध्य प्रदेश सरकार ने दो नवम्बर को एक आदेश जारी करके 20 अक्टूबर 2014 की खंडवा जल संयोजन स्कीम की अधिसूचना के क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया और नवगठित परिषद् पर जल संयोजन योजना पर पुनर्विचार की शर्त जोड़ी।खंडवा नगर निगम की नई परिषद् का गठन आगामी 11 जनवरी 2015 को होना है, उसके पहले ही नगर निगम, खंडवा के आयुक्त और अन्य अधिकारीगण ने विश्वा कंपनी के साथ बैठक करके खंडवा नगर के 280 बोर-वेल और सुक्ता बांध से पानी के कनेक्शन काटने का कार्य 22 दिसम्बर को शुरू करने का निर्णय लिया है। याचिका की सुनवाई के बाद न्यायालय ने उक्त आदेश जारी कर अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शोभा मेनन ने पैरवी की।

अपनी राय दें