• नगरीय निकाय चुनाव :उच्चतम न्यायालय ने खारिज किया स्टे

    रायपुर ! नगरीय निकाय चुनाव पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे खारिज कर दिया है। परिसीमन मामले को लेकर रायपुर के दो पार्षदों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए 14 नवंबर को जज टीपी शर्मा और इंदर उबोवोजा की युगलपीठ ने स्टे का आदेश जारी कर दिया था। इस निर्णय के खिलाफ पिछले दिनों कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एचएल दत्तु की बेंच ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया।...

    रायपुर !    नगरीय निकाय चुनाव पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्टे खारिज कर दिया है। परिसीमन मामले को लेकर रायपुर के दो पार्षदों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर सुनवाई करते हुए 14 नवंबर को जज टीपी शर्मा और इंदर उबोवोजा की युगलपीठ ने स्टे का आदेश जारी कर दिया था। इस निर्णय के खिलाफ पिछले दिनों कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एचएल दत्तु की बेंच ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया।आदेश का इंतजार राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रदेश के नगरीय निकायों के लिए 8 दिसम्बर और 11 नवम्बर को वोटिंग की तिथि तय की थी। मतगणना 15 दिसम्बर को होनी थी। स्टे के बाद से नामांकन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई थी। विशेषज्ञों के मुताबिक स्टे हटने के बाद भी पुरानी तिथियों पर यह चुनाव नहीं हो पाएगा। इसकी वजह यह है कि प्रत्याशियों के नामांकन ही तय नहीं हो पाए हैं, नामांकन के बाद प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार करने के लिए भी समय चाहिए होता है। राज्य निर्वाचन आयोग अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहा है इसके बाद आगे की रणनीति तय होगी। चुनाव का किसे फायदा, किसे नुकसाननसबंदी चुनाव, नक्सली हमले से घिरी भाजपा सरकार के लिए नगरीय निकाय चुनावों पर स्टे एक राहत की तरह है, लेकिन कांग्रेस इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहती है। विधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार यह मौका है जबकि कांग्रेस के पास हमला करने के लिए पर्याप्त मुद?दे हैं। ऐसे समय में यदि चुनाव होते हैं तो वह फायदे में आ सकती है और प्रदेश में कमजोर पड़ी कांग्रेस को एक संजीवनी मिल सकती है। इसलिए कांग्रेस चाहती है निकाय चुनाव जल्द से जल्द हो, जबकि परिसीमन के जिस मामले पर हाईकोर्ट ने स्टे लगाया था, वह याचिका कांग्रेस पार्षदों की ओर से ही लगाई गई थी।क्या था मामलारायपुर के पार्षद ज्ञानेश शर्मा और जगदीश आहूजा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि रायपुर नगर निगम में 2001 की जनगणना के आधार पर ही चुनाव करवाने की तैयारी चल रही है, जबकि यहां की जनसंख्या 25 प्रतिशत बढ़ गई है। यहां आबादी के हिसाब से परिसीमन नहीं किया गया है। इस वजह से किसी वार्ड की जनसंख्या सात हजार है तो किसी में 35 हजार। इस पर हाइकोर्ट ने 14 नवंबर को फैसला सुनाते हुए परिसीमन होते तक चुनाव पर रोक लगा दी थी।

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