• महाराष्ट्र की राजनीति के बागी नेता थे अंतुले

    मुंबई ! मंगलवार को दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए पूर्व केंद्रीय मंत्री अब्दुल रहमान अंतुले ने 1945 में छात्र जीवन से राजनीति में कदम रखा था और 1980 में महाराष्ट्र का पहला मुस्लिम मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया। 'बैरिस्टर अंतुले' के उपनाम से विख्यात अंतुले अपने सात दशकों तक के लंबे राजनीतिक करियर में कई बार विवादों में घिरे। कुलाबा (अब रायगढ़) जिले के अंबेट गांव में 1929 में जन्मे अंतुले ने लंदन से वकालत की शिक्षा ग्रहण की...

    मुंबई !   मंगलवार को दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए पूर्व केंद्रीय मंत्री अब्दुल रहमान अंतुले ने 1945 में छात्र जीवन से राजनीति में कदम रखा था और 1980 में महाराष्ट्र का पहला मुस्लिम मुख्यमंत्री बनने का गौरव हासिल किया। 'बैरिस्टर अंतुले' के उपनाम से विख्यात अंतुले अपने सात दशकों तक के लंबे राजनीतिक करियर में कई बार विवादों में घिरे।कुलाबा (अब रायगढ़) जिले के अंबेट गांव में 1929 में जन्मे अंतुले ने लंदन से वकालत की शिक्षा ग्रहण की।छात्र राजनीति छोड़कर विदेश पढ़ाई करने गए अंतुले ने स्वदेश वापसी के बाद मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखा और 1962 में विधायक चुने गए। इसके बाद अंतुले ने 1976 तक विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार संभाला।अंतुले 1976 में राज्यसभा सांसद बने और इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बड़े बेटे संजय गांधी के काफी नजदीक रहे।जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद भारी बहुमत से सत्ता में वापसी करने के बाद कांग्रेस ने अंतुले को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद मुख्यमंत्री बनाया।संजय गांधी की ही तरह अंतुले तेज कार्रवाई करने वाले नेता थे और गरीब तबका उनकी योजनाओं के केंद्र में रहा।योजनाओं के लागू होने में विलंब पर अंतुले ने महाराष्ट्र की नौकरशाही को कड़ी फटकार लगाई थी। मुख्यमंत्री रहते हुए अंतुले ने गरीबों को मासिक आर्थिक मदद मुहैया कराने के लिए संजय गांधी निराधार योजना, विधायकों और पत्रकारों के लिए पेंशन और आवास योजना के साथ-साथ ऐसी अनेक योजनाएं शुरू कीं।अंतुले ने इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान न्यास की स्थापना की, जिसे कथित तौर पर रियल एस्टेट कारोबारियों से सीमेंट कोटा के प्रतिफल में अनुदान मिलता था।समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस द्वारा इसका खुलासा किए जाने और बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा अंतुले के खिलाफ दिए गए फैसले के कारण अंतुले को जनवरी 1982 में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।अंतुले पर हालांकि कभी भी आरोप सिद्ध नहीं हो सका और न्यायालय ने उन्हें मामले में बरी कर दिया। इसके बाद वह केंद्रीय राजनीति में फिर से सक्रिय हुए।बाद में अंतुले ने कहा था, "मैंने कुछ भी गलत नहीं किया था। मुझे मेरे राजनीतिक विरोधियों ने निशाना बनाया लेकिन अंतत: वे असफल रहे।"अंतुले चार बार लोकसभा सदस्य तथा दो बार राज्यसभा सदस्य चुने गए। इसके अलावा वह छह बार विधायक चुने गए।

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