• 'आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों में नक्सलवाद बड़ा खतरा'

    नोएडा ! भारत की आंतरिक सुरक्षा बड़ी चुनौती है और आंतरिक सुरक्षा सिर्फ कानून और व्यवस्था की समस्या मात्र नहीं है, बल्कि इस समस्या से राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक आयाम भी जुडे हुए हैं। सभी स्तरों पर प्रभावी ढग़ से लागू करने के लिए एक व्यापक संतुलित सुरक्षा नीति की जरुरत है ये कहना है बीएसएफ के आईजी (पंजाब फ्रन्टियर) के अशोक कुमार का।...

    आम जन को भी होनी चाहिए आंतरिक सुरक्षा की जानकारी : बीएसएफनोएडा !   भारत की आंतरिक सुरक्षा बड़ी चुनौती है और आंतरिक सुरक्षा सिर्फ कानून और व्यवस्था की समस्या मात्र नहीं है, बल्कि इस समस्या से राजनैतिक, सामाजिक और आर्थिक आयाम भी जुडे हुए हैं। सभी स्तरों पर प्रभावी ढग़ से लागू करने के लिए एक व्यापक संतुलित सुरक्षा नीति की जरुरत है ये कहना है बीएसएफ के आईजी (पंजाब फ्रन्टियर) के अशोक कुमार का। वो सेक्टर 63 स्थित मैकग्राहिल एजुकेशन द्वारा अपनी किताब चलेंज टू इंर्टनल सिक्यूरिटी ऑफ इंडिया के विमोचन के दौरान पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। अपनी किताब व अपने अनुभव के बारे में बताते हुए अशोक कुमार ने कहा कि भारत की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों नामक इस किताब में उन विषयों को शमिल किया गया है, जो सिविल सर्विसेज अध्ययन पत्र-3 में भी आते हैं। सुरक्षा और डिजास्टर मैनेजमेंट जैसे विषय सिविलि सर्विसेज की परीक्षा में पूछे जाते हैं। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम की भाषा कठिन है इस किताब के माध्यम से छात्रों को सरल भाषा पढऩे को मिलेगी। उन्होंने बताया कि किताब से न सिर्फ  सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे परीक्षाथियों के लिए उपयोगी है बल्कि इसकी पाठन समग्री आम लोगों के लिए खासा जानकारी भरी है। किताब में वर्तमान में भारतीय आंतरिक सुरक्षा के बारे में जानकारी दी गई है। इस किताब में दुसरे लेखक विपुल भी है। जो कि हाल ही में दिल्ली अण्डमान नीकोबार आईलैण्ड पुलिस सर्विसेज में चुने गए है। दोनों लेखकों का कहना है कि दोनों लेखकों की सुरक्षा पृष्ठभूमि से जुड़े होने के चलते इस किताब में उनके अनुभवों एव उनके समयानुकूल परिस्थितियों का लाभ पाठकों को जरुर मिलेगा। अशोक कुमार ने देशबंधु से बातचीत करते हुए बताया कि आंतरिक सुरक्षा को लेकर उनकी किताब न केवल सिविल सर्विसेज के छात्रों के लिए है वहीं आम जन के लिए भी उपयोगी है। आम जन को आज जााने की जरूरत है कि फैल रहे आतंकवाद के पीछे कौन सी ताकते हैं। आम जन को सुरक्षा के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है। जगह-जगह आतंकवाद की समस्या सिर उठाने लगती है। लोगों को आतंकवाद के बढ़ रहे खतरे के प्रति जागरूक रहना पड़ेगा।छोटी सी छोटी जानकारी का आदान-प्रदान करने की जरूरत  आतंक से जुड़ी छोटी सी छोटी जानकारी का आदान-प्रदान करने की जरूरत है ताकि अंजाम से पूर्व मानवता के विरोधियों के मंसूबों को पस्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि हिंसा के खतरे ने जनता में असुरक्षा की भावना पैदा कर दी है। समाज एवं पूरे देश पर इसके खतरनाक प्रभाव पड़े है।  विघटनकारी शक्तियों से मुकाबला करने के लिए सभी को आगे आना चाहिए। खासतौर से युवा पीढ़ी इस महत्वपूर्ण कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। उन्होंने नक्सलवाद पर हमला बोलते हुए कहा कि नक्सलवाद की समस्या आज विकराल होती जा रही है। नक्सलवाद के लिए वर्तमान में सरकार द्वारा लागू की गई नितीयां सही हैं लेकिन वो नितीयां कारगार तब हैं जब उनको सही तरह से लागू किया जाएगा। 

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