• बेटे की मौत ने रुलाया, नेत्रदान ने दिया संबल

    कोरबा ! मौत किसी भी परिवार के लिए सबसे बड़ा दु:ख है और किसी सदस्य की अकाल मौत हो जाए तो यह और भी दुखदायी होता है। इस शोक में ईश्वर से प्रार्थनाएं संबल होती है, लेकिन यहां एक परिवार ने एक नई मिसाल कायम की है। ...

    जैन परिवार ने पेश की मिसाल, बालकोवासियों ने भी दी श्रद्धांजलिकोरबामौत किसी भी परिवार के लिए सबसे बड़ा दु:ख है और किसी सदस्य की अकाल मौत हो जाए तो यह और भी दुखदायी होता है। इस शोक में ईश्वर से प्रार्थनाएं संबल होती है, लेकिन यहां एक परिवार ने एक नई मिसाल कायम की है। 12 साल के बेटे की सड़क हादसे में मौत से दुखी पिता ने अपने आंसू थाम लिए और मृत व्यक्ति के नेत्र दान कर दिए।  यह मिसाल हालांकि जांजगीर में रह रहे जैन परिवार ने कायम की है लेकिन कोरबा के बालकोनगर से इनका पुराना नाता रहा है और आज भी यह परिवार कोरबा से जुड़ा है। बालकोवासियों को जैसे ही यह खबर मिली, मासूम की मौत ने एक पल रूलाया तो दूसरे ही पल नेत्रदान के फैसले ने आत्मिक खुशी और संतुष्टि से आल्हादित कर दिया, जिसका वर्णन करना असंभव है। यह घटना बालको क्षेत्र के हाऊसिंग बोर्ड निवासी एवं सिविक सेंटर में किराना दुकान संचालक सुधीर जैन व बालको चेंबर ऑफ कॉमर्स के वरिष्ठ सदस्य ताराचंद जैन के परिवार से जुड़ी हुई है। ताराचंद जैन का एक पुत्र सुरेश जैन जो कि कालांतर में सेक्टर-1 में किराना दुकान का संचालन किया करते थे और कई वर्षों तक यहां व्यापार करने के बाद जांजगीर-चांपा में सपरिवार बस गए। उनके साथ एक और भाई सुशील कुमार का परिवार भी जांजगीर में रह रहा है। बताया गया कि 27 अगस्त की रात 10.30 बजे तेज रफ्तार बोलेरो ने सुरेश जैन के 12 वर्षीय होनहार पुत्र स्वयं जैन को गंभीर रूप से चोटिल कर दिया। जांजगीर के अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद बिलासपुर लाया गया और वहां से फिर डॉ. अंबेडकर अस्पताल रायपुर में गहन उपचार के लिए ले जाया गया जहां कोशिशों के बावजूद बचाया नहीं जा सका और शनिवार की सुबह स्वयं ने अंतिम सांस ली। स्वयं की मौत ने परिजनों को तोड़कर रख दिया। बेटे का शव अस्पताल में ही पड़ा था कि इसी अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में पदस्थ नेत्रदान काउंसलर डॉक्टर खुशबू सिन्हा और वरिष्ठ नेत्र सहायक डॉ. संजय शर्मा को स्वयं के मौत की जानकारी मिली और उन्होंने नेत्रदान के लिए सुरेश जैन व परिजनों से चर्चा की। स्वयं तो दुनिया से चला गया लेकिन उसका कोई अंग किसी जरूरतमंद के काम आ जाए, इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है, यह विचार कर तत्काल सहमति दे दी गई। आवश्यक प्रक्रियाओं के बाद स्वयं का ऑपरेशन कर कार्निया निकाला गया। इसके साथ ही प्रदेश का सबसे तेज कार्निया ट्रांसप्लांट का इतिहास भी रचा गया। स्वयं की मौत के दो घंटे के भीतर कार्निया निकालने और चार घंटे में उसे जरूरतमंद 25 वर्षीय नेत्रहीन कन्हैयालाल गोखलानी को ट्रांसप्लांट कर उसके जीवन में रौशनी भरने का काम किया गया। नेत्रदान की सर्वत्र प्रशंसाबालको वार्ड क्रमांक 27 पाड़ीमार के पार्षद महेश अग्रवाल सहित अन्य बालकोवासियों, चेम्बर पदाधिकारियों, हाऊसिंग बोर्ड कालोनीवासियों, सिविक सेंटर के व्यवसायियों सहित जैन परिवार से संबंध रखने वाले तमाम लोगों ने इस निर्णय की न सिर्फ सराहना की है बल्कि गर्व जताया है। मृतक के पिता सुरेश जैन के मुताबिक परिजनों ने स्व. स्वयं जैन के लीवर और किडनी दान करने की भी इच्छा जताई थी लेकिन रायपुर अस्पताल में इस तरह की सुविधा नहीं होने के कारण डॉक्टरों ने असमर्थता व्यक्त की। इस तरह नेत्रदान करके संतुष्ट होना पड़ा। बताया गया कि उनके परिवार के सदस्य सूरजमल जैन का शरीर पिछले साल दान किया गया था। मरने के बाद भी यह शरीर किसी के काम में लाए जाने के प्रेरणास्पद कार्य की सराहना करते हुए बालकोवासियों ने जैन परिवार के दु:ख में सहभागिता जताई है।

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