• खून के लिए दलाली!

    अम्बिकापुर ! लोगो की मजबूरी का फ ायदा उठाकर खून बेचने वाले दलाल एक बार फिर जिला चिकित्सालय में सक्रिय हो गये है इस बार खून के दलाल कोई और नहीं बल्कि नगर में रिक्शा चलाने वाले लोग कम समय में ज्यादा पैसा कमाने के लालच में खून बेचने जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक पहुंच रहे है। आज भी ऐसा मामला देखने को मिला हालांकि गिरोह का सरगना पुलिस के हाथ नहीं लगा। ...

    अम्बिकापुरलोगो की मजबूरी का फ ायदा उठाकर खून बेचने वाले दलाल एक बार फिर जिला चिकित्सालय में सक्रिय हो गये है इस बार खून के दलाल कोई और नहीं बल्कि नगर में रिक्शा चलाने वाले लोग कम समय में ज्यादा पैसा कमाने के लालच में खून बेचने जिला चिकित्सालय के ब्लड बैंक पहुंच रहे है। आज भी ऐसा मामला देखने को मिला  हालांकि  गिरोह का सरगना पुलिस के हाथ नहीं लगा। उल्लेखनीय है कि सरगुजा संभाग के सबसे बड़ा अस्पताल जिला चिकित्सालय है और यहां जिले में सबसे अधिक क्षमता लगभग 500 युनिट ब्लड रखने स्टोरेज किया जाता है। हालांकि जिला चिकित्सालय में हर समय किसी भी ग्रुप के खून का रोया रोया जाता है कारण एक ही है कि रक्तदान करने वाले लोगों की संख्या कम है और जो समिति या संघ दान करने जिला चिकित्सालय पहुंचती है उसमें अधिकांश दो चार लोग ही रक्ता दान करते हैं बाकि खानापूर्ति कर चलते बनते है ऐसे में जिला चिकित्सालय में भर्ती जेल वार्ड व सिकलसेल के मरीजों को दिये जाने वाले खून के कारण जिला चिकित्सालय का ब्लड बैंक खाली हो जाता है। ऐसे में खून के दलाली करने वाले लोगों को पौ बारह हो जाता है। ये लोग ऐसे मजबूर लोगों की तलाश में जिला चिकित्सालय व ब्लड बैंक के पास घुमते है। जिन्हे खून की जरूरत अधिक होती है ऐसे मरीज के परिजनों को अपनी मि_ी-मि_ी बातों में बहलाकर यह जता देते है कि मानो ये लोग अपने से भी ज्यादा हितैशी है। बातो ही बातो में यह मरीज के परिजनों से खून दिला देने का सौदा तय कर लेते है। वहीं दलालों के मि_ी बातों में आकर वे सौदा तय भी कर लेते है। ऐसा ही मामला आज देखने को मिला जहां रामचन्दरपुर निवासी धन्नु सिंह अपनी बहू उर्मिला को प्रसव पीड़ा होने पर जिला चिकित्सायल के महिला वार्ड में दो-तीन दिन पूर्व भर्ती कराया जहां डाक्टरों ने गर्भवती को खून की कर्मी बताते हुए उसके परिजनों को तत्काल कम से कम एक बाटल खून की व्यवस्था करने की बात कही जिस पर आज धन्नू खून की तलाश में जिला चिकित्सालय के ब्लड बैक की ओर आ रहा था। तभी एक रिक्शा चालक ने उसकी मजबूरी को भापते हुए मौके का नजाकत को समझ लिया और उसे खून दिया देने की बात कह अपने साथ बंगाली चौक ले आया जहां एक अन्य रिक्शा चालक को मजह 2 हजार रूपये देने की बात कह खून देने के लिए तैयार कर लिया। जब रिक्शा चालक खून देने ब्लड बैंक पहुंचा तो कागजी कार्यवाही के दौरान डा. भगत ने नाम व पता पूछा तो रिक्शा चालक सही जवाब नहीं दे पाया जिस पर उसे पुलिस को सौप दिया गया। जिस पर पुलिस ने मुख्य सरगना का नाम पता पुछा तो रिक्शा चालक नहीं बता सका । समाचार लिखे जाने तक पुलिस खून के दलाल की खोजबीन में लगी रही।

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