• बस व ऑटो परिचालकों की मनमानी से परेशान यात्री

    नोएडा ! शहर के परिवहन विभाग द्वारा निजी बसों व टेंपों में किराए का एक सामान निर्घारण नहीं है। इस कारण यात्रियों से अलग-अलग अधिक किराया वसूला जा रहा है। रात के समय तो संचालकों की चांदी हो जाती है। रात में बस परिचालक मनचाहा किराया वसूलते हैं। शिकायत के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने से यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किराए के मामले में बस संचालकों व स्टाफ द्वारा मनमानी की जा रही है। वहीं कई प्राइवेट बसों में यात्रियों को टिकट नहीं दिया जाता है। इस कारण उनसे मनमानी किराया वसूला जाता है। ...

      नोएडा !   शहर के परिवहन विभाग द्वारा निजी बसों व टेंपों में किराए का एक सामान निर्घारण नहीं है। इस कारण यात्रियों से अलग-अलग अधिक किराया वसूला जा रहा है। रात के समय तो संचालकों की चांदी हो जाती है। रात में बस परिचालक मनचाहा किराया वसूलते हैं। शिकायत के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं किए जाने से यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किराए के मामले में बस संचालकों व स्टाफ द्वारा मनमानी की जा रही है। वहीं कई प्राइवेट बसों में यात्रियों को टिकट नहीं दिया जाता है। इस कारण उनसे मनमानी किराया वसूला जाता है। शहर के कई सेक्टर ऐसे हैं जहां डीटीसी बसों की सेवाएं नहीं है ऐसे में लोगों को रिक्शे व थ्री व्हीलर पर निर्भर रहना पड़ रहा है। थ्री व्हीलर चालक न केवल ट्रैफिक नियम तोड़ते हैं बल्कि यात्रियों से मनचाहा किराया भी वसूलते हैं। ये न तो रेडलाईट मानते हैं न ही इनकी लिए गति सीमा है।  प्राईवेट बस चालक नियमों को ताक पर रखकर चलते हैं और उन्हें देखने वाला कोई नहीं होता। आलम ये है कि निजी बसें तेज गति में तो चलती ही हैं साथ में इसकेे दरवाजे पर स्कूली बच्चे लटके देखे जा सकते हैं। बस संचालक व संवाहक लापरवाही दिखाते हुए इन बच्चों को न तो उतारते हैं न ही इन्हें बस के अंदर बैठने को बोलते हैं। वहीं ये अवैधानिक तरीके से बस स्टेण्ड से सवारियों को बैठाते हैं।क्षमता से ज्यादा सवारीऑटो में तीन तो टेेंपो में छह लोगों को बैठाने का नियम है।लेकिन इस नियम से इन वाहन संचालकों को कोई लेना देना नहीं है। ये सवारियों को ठूस ठूस कर भरते हैं और लोगों को एडजस्ट होने के लिए बोलते हैं। ऑटो में जाने वाली सवारियों का कहना कि निजी बस हो या फिर टेम्पो इसमें यदि सवारी ने अन्य सवारी बिठाने से मना कर दिया तो संचालकों का पारा सांतवें आसमान पर हो जाता है। कोई हिम्मत मत दिखाता भी है तो उसे ये लोग उतर जाने को कहते हैं और कहते हैं कि इतना ही आराम से बैठकर चलने का शौक है तो ऑटो बुक करवाकर क्यों नहीं चलते। बसों से माल का परिवहनलम्बे रूट की यात्री बसों की स्थिति तब ट्रको जैसी बन जाती है जब उनके यात्रियों की संख्या तो नाम मात्र रहती है, लेकिन बस की छत पर बड़े पैमाने पर अवैधानिक रूप से माल का परिवहन किया जाता है। यात्री बसों में प्रतिदिन ओवरलोड कर माल नियमों के विपरीत लाया ले जाया जा रहा है। इस मामले में भी जवाबदार विभाग की नींद नहीं खुल रही है। क्या कहती है सवारीलक्ष्मी का कहना है कि नोएडा सेक्टर-16 कोचिंग के लिए आती हूं। सेक्टर-16 से कोचिंग इंस्टिट्रयूट के लिए ऑटो मिल जाते हैं, लेकिन मनचाहा किराया वसूलते हैं। हर ऑटो पर परिवहन विभा या यातायात पुलिस की ओर से दिया गया शिकायत नंबर होना चाहिए। मुकेश कौशिक का कहना है कि दिल्ली से अकसर नोएडा आता रहता हूं। सेक्टर-62 जाने के लिए मैं सिटी सेंटर उतरता हूं। यहां पर ऑटो तो बहुत मिल जाते हैं पर ऑटो चालक लोगों से बदसलूकी करते हैं। अगर दूर जाना हो तो ज्यादा किराया मांगते हैं। मेट्रो स्टेशन के नीचे ऑटो प्रीपेड बूथ सेंटर होना ही चाहिए। लवलीन का कहना है कि मैं टेंपो से नोएडा से ग्रेटर नोएडा आती जाती हूं। टेंपो चालक इसमें ठूस - ठूस कर सवारियां बैठा लेते हैं। इनका कोई फिक्स रूट भी नहीं होता। टेंपो के लिए फिक्स रूट बोर्ड लगाए जाने चाहिए।

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