• एनसीआर में महिलाओं पर बढ़ रहे अत्याचार

    नोएडा ! छोटी उम्र की बच्चियों के साथ इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना ने अभिभावकों को एक बार फिर से चिंता में डाल दिया है। इस तरह की घटनाएं देश के अलग-अलग हिस्सों से सामने आ रही हैं। ऐसी न जानें कितनी घटनाएं हैं जो सवाल उठाती हैं कि आखिर कैसे बचाएं अपने बच्चों को इस तरह की घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर बच्चियां और महिलाएं कहां सुरक्षित हैं? प्राप्त जानकारी के अनुसार इनमें से करीब 45 फीसदी रिश्तेदार होते हैं, जबकि 30 से 40 फ ीसदी पड़ोसी या दोस्त होते हैं। इसके लिए शुरुआत में ही थोड़ी सजगता मददगार साबित हो सकती है। ...

    आखिर बच्चियां व महिलाएं कहां हैं सुरक्षित   इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटनाओं से अभिभावकों को चिंता नोएडा !   छोटी उम्र की बच्चियों के साथ इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना ने अभिभावकों को एक बार फिर से चिंता में डाल दिया है। इस तरह की घटनाएं देश के अलग-अलग हिस्सों से सामने आ रही हैं। ऐसी न जानें कितनी घटनाएं हैं जो सवाल उठाती हैं कि आखिर कैसे बचाएं अपने बच्चों को इस तरह की घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि आखिर बच्चियां और महिलाएं कहां सुरक्षित हैं? प्राप्त जानकारी के अनुसार इनमें से करीब 45 फीसदी रिश्तेदार होते हैं, जबकि 30 से 40 फ ीसदी पड़ोसी या दोस्त होते हैं। इसके लिए शुरुआत में ही थोड़ी सजगता मददगार साबित हो सकती है। क्या कहते हैं मनोचिकित्सकमनोचिकित्सकों की मानें तो कई बार बच्चे नादानी, डर या शर्म के कारण माता-पिता या घर के अन्य सदस्यों को अपने साथ होने वाली ज्यादतियों के बारे में नहीं बताते। यह सबसे बड़ी वजह है जो हमे मासूमों को किसी अपराध का शिकार होने से नहीं रोक पाती। बच्चों को जागरूक करने के लिए स्कूल के साथ-साथ अभिभावकों को भी जिम्मेदारी लेनी होगी।बच्चे के साथ ऐसे करें व्यवहारडॉ रश्मि गुप्ता का कहना है कि मां को बच्चे का भरोसा जीतना चाहिए ताकि वह खुलकर बिना किसी हिचकिचाहट के हर बात शेयर करे। बच्चे को एहसास दिलाना चाहिए कि अगर वो आपसे कुछ शेयर करता है तो आप उसके साथ हैं। अगर कोई उन्हें किसी भी तरह से डराता या धमकाता हो या बुरे इशारे करता हो तो तुरंत बताएं। मां को बच्चे के कपड़े या शरीर पर पड़े किसी तरह के भी निशान को चेक करना चाहिए। किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति में बच्चे को जोर से चिल्लानेए वहां से भागने और संकोच नहीं करने की बात समझायें। बच्चे को समझायें कि उसके साथ छेडख़ानी की हरकत करने वाला भले ही कोई संबंधी, पड़ोसी या टीचर हो तुरंत इसके बारे में बतायें। बच्चों में गिफ्ट गैजेट्स, पैसे, खिलौने, कपड़े, और खाने-पीने का सामान किसी अजनबी से न लेने की आदत भी आपको ही डालनी पड़ेगी।ऐसे करें बच्चों को जागरूकनोएडा मोम संस्था की श्रुति मित्तल का कहना है कि हर मां को अपने बच्चों को गुड टच और बैड टच का अंतर जरूर बताना चाहिए। समाज में इस तरह के यौन अपराधों का शिकार लड़के-लड़कियां दोनों होते हैं। लिहाज़ा दोनों को ही जागरूक किए जाने की ज़रूरत है। इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी मां की है। कारण है बच्चों का मां के साथ ज्यादा फ्रेंडली और सहज होना। अगर बच्चा बताता है कि किसी ने उसके साथ गलत हरकत की है तो उसे अनदेखा करना समझदारी नहीं है। आप उन पर यकीन करें और उनकी सुरक्षा के लिए कदम उठाए। अपनी बच्ची की दोस्त बनकर रहें और उसे उसके हिस्से की खुशियां एक सुरक्षित माहौल में दे। बच्चों को शरीर के अंगों के नाम के बारे में बताकर समझाऐं कि अगर उस जगह कोई उन्हें टच करता है तो वह सही है या गलत। बच्चों को बतांए कि शरीर के जो हिस्से ढके रहते हैं उन्हें छूने का हक सिर्फ  मां को है।

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