• गिर रहा है भू-जल स्तर ,पेयजल के लिए अब तरसना पड़ेगा!

    जिस तरह से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भू-जल दोहन किया जा रहा है। अगर ऐसा ही होता रहा तो आने वाले दिनों लोगों को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ेगा। ...

    नोएडा !    जिस तरह से नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भू-जल दोहन किया जा रहा है। अगर ऐसा ही होता रहा तो आने वाले दिनों लोगों को पीने के पानी के लिए तरसना पड़ेगा। नोएडा ग्रेटर नोएडा में लगातार भूजल स्तर गिरता जा रहा है। नोएडा ग्रेटर नोएडा में कुल 350 बिल्डरों का निर्माण कार्य चल रहा है। जिसमें से कुछ बिल्डरों के द्वारा भू-जल का उपयोग और भू-जल दोहन किया जा रहा है।निर्धारित होगा। यह जानकारी श्रीमती भुक्कल ने आज झज्जर में दी। जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने 11 जनवरी 2013 को आदेश दिया था कि नोएडा ग्रेटर नोएडा में कोई बिल्डर भू-जल का उपयोग नही कर सकता है। बिल्डरों पर निगरानी करने का काम नोएडा प्राधिकरण और ग्रेटर प्राधिकरण का था। प्राधिकरण के द्वारा कुछ बिल्डरों की साइटों पर अभियान चलाया गया। लेकिन यह अभियान रंग नहीं लाया। जिससे नोएडा और ग्रेटर नोएडा में बड़े-बड़े बिल्डर जल दोहन करने में लगे हैं। उनकी इस बात की कतई चिंता नहीं है। हालांकि नोएडा प्राधिकरण की ओर से बिल्डरों पर जल दोहन पर रोक लगा दी गई है। अगर को जल दोहन करता पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लेकिन रोक के बावजूद भी बिल्डरों के द्वारा भू-जल का उपयोग बिल्डिंग निर्माण में किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर बिल्डरों के द्वारा बेसमेंट की खुदाई के दौरान भी भू-जल दोहन हो रहा है। वहीं शहर में भू-जल का उपयोग सर्विस सेंटरों में रोज वाहनों को धोने के लिए किया जा रहा है। इस पानी से हजारों लोगों की प्यास बुझाने के साथ दैनिक कार्यो में भी खर्च किया जा सकता है। शहर में चल रहे सर्विस सेंटरों में प्रतिदिन लगभग पांच मिलियन लीटर डेली पानी को वाहनों को साफ करने में खर्च किया जा रहा है। नोएडा में कुल 350 सर्विस स्टेशन है। दिलचस्प बात है कि इन सर्विस सेंटरों में अवैध रूप से बोरिंग भी किए गए हैं, जो भूजल को लगातार रसातल में धकेल रहे हैं। वाहनों को धोने में इस्तेमाल होने वाला पानी नालियों में बहा दिया जाता है।

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