• महिला भिखारियों की संख्या में हो रही है वृद्धि

    हाईटेक सिटी में इन दिनों बच्चे को गोद मे उठाए भीख मांगती युवतियों की संख्या दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इन महिला भिखारियों का शहर में रैकेट पनप रहा हैै। ...

    नोएडा !    हाईटेक सिटी में इन दिनों बच्चे को गोद मे उठाए भीख मांगती युवतियों की संख्या दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इन महिला भिखारियों का शहर में रैकेट पनप रहा हैै। शहर के प्रत्येक भाग बाजार, सेक्टरों, प्रमुख चौराहों, मॉल्स के बाद इनको देखा जा सकता है। महिला और मासूम बच्चे पर तरस खाकर लोग भीख में रुपए और अन्य वस्तु दे देते हंै उन्होंने लोगों की इस भावना का लाभ उठाना शुरु कर दिया है। महिला भिखारियों की अच्छी कमाई हो जाती है। इसी वजह से वे अन्य कोई काम नहीं करना चाहतीं।  यह भिखारी महिलाएं भीड़भाड़ वाले स्थान और धार्मिक स्थलों पर नजर में आती है। ये महिलाएं मासूम बच्चे को गोद में लिए भीख मांगती हैं। शहर की पुलिस द्वारा तमाम बार महिला भिखारियों के गतिविधियों पर अंकुश लगाने के प्रयास किए गए हैंै लेकिन इनकी संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। यह भिखारी महिलाएं शहर के बस स्टैंड,बाजार, मैट्रो और सभी मंदिरों में बच्चे के साथ भीख मांगती हंै। इस गिरोह में 20 से 30 आयु वर्ग की स्वस्थ महिलाएं शामिल होती हंै जो यात्रियों, दुपहिया वाहन धारको को अपना टारगेट बनाती है। ट्रैफिक, मदिरों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर प्राया छोटे बच्चों के साथ भीख मांगती मिल जाएगी। लेकिन वे अपने साथ बच्चे का जीवन खतरे में ड़ाल रही है।  सेक्टर 24 दरोगा ममता शर्मा ने बताया कि सभी उम्र के बच्चों का भीख मांगने में उपयोग किया जाता है। युवा महिलाएं छोटे बच्चे को गोद में लेकर भीख मांगती हैं। इनको कई बार सड़को से हटाया भी गया है लेकिन कुछ ही दिनों में ये वापस आ जाते हैं। लगातार इनके खिलाफ कार्यावाही की जाती रही है लेकिन ये लोग फिर आकर अपने पैस पसार लेते हंै। उन्होंने बताया कि सड़क पर लंबे वक्त से रह रही महिलाओं की कई बार मदद के बावजूद वापस जाना पसंद करते हंै। इन महिलाओं के पास आजादी है, इन्हें पैसा कमाना आता है और इन्हें सीमाओं में रहना पसंद नहीं।। इन्हें सामान्य जिंदगी में वापस आना पसंद नहीं। लेकिन लेकिन हालत इतनी भी खराब नहीं। अगर इन बच्चों को विकल्प दिए जाएं तो यह सामान्य जिंदगी को पसंद करते हैं। समाज सेवी मानते हैं कि शहर के सड़को व अन्य महत्वपूर्ण स्थलों पर लम्बे समय से है। पुलिस भिखारियों की बढ़ती संख्या और उनकी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए जब भी उन्हें पकड़ती है तो उन्हें ट्रेन से कोई और जिला भेज दिए जाते है लेकिन यह इसका निवारण नहीं है। इस प्रकार की कार्रवाई से समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा।समाजसेवी साक्षी का कहना है कि सड़क पर रहने वाले इन लोगों को अपनी मौलिक आवश्यकताएं पूरा करने का अधिकार तो नहीं है इसीलिए कहीं वे भूख से तड़प-तड़प कर दम ना तोड़ दें, वह दूसरे लोगों से भीख मांगकर अपना पेट भरने का प्रयत्न करते हैं।

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