• अजीवन कारावास में बदली फांसी की सजा

    हाईकोर्ट के आदेश पर ऋषभ राज हत्याकांड मामले के दोबारा सत्र विचारण के बाद एडीजे (तृतीय) रामशंकर सिंह तीन दोषियों को मृत्यु पर्यत (फॉर टिल डेथ) कारावास की सजा सुनाई है।...

    मुजफ्फरपुर !  हाईकोर्ट के आदेश पर ऋषभ राज हत्याकांड मामले के दोबारा सत्र विचारण के बाद एडीजे (तृतीय) रामशंकर सिंह तीन दोषियों को मृत्यु पर्यत (फॉर टिल डेथ) कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही दोषियों को दो-दो लाख रुपए जुर्माना भी अदा करना होगा। जुर्माने की 3/4 भाग राशि ऋषभ के माता-पिता को देय होगा। सजा पाने वालों में बोचहां थाना के मैदापुर निवासी विनोद चौधरी, राधेश्याम चौधरी व सकरा थाना के महम्मदपुर गांव के विश्वनाथ चौधरी है। सजा पाने वाले विनोद चौधरी व राधेश्याम चौधरी सगे भाई है। दो साल पहले सत्र विचारण के बाद तत्कालीन एडीजे तृतीय अरुण कुमार सिंह ने विनोद चौधरी, राधेश्याम चौधरी, चंदन चौधरी को फांसी की सजा व विश्वनाथ चौधरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसमें चंदन चौधरी फरार है। सजा की बिंदू पर सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की ओर से बहस करते हुए वरीय अधिवक्ता कुमोद सहाय ने कोर्ट के समक्ष इसे मामले में कैपिटल पनिशमेंट के दायरे से बाहर रखने का कानूनी तर्क दिया। वहीं अभियोजन पक्ष की ओर से लोक अभियोजक केदारनाथ सिंह ने इसे 'रेयर ऑफ रेयरेस्टÓ का मामला बताते हुए दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग न्यायालय के समक्ष रखी। खचाखच भरे न्यायालय में फैसले सुनाते हुए न्यायाधीश ने दोषियों द्वारा किए गए अपराध को कुछ हद तक 'दुर्लभतम श्रेणीÓ में तो माना है, लेकिन पूरे मामले को ठोस परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित मानते हुए फांसी की सजा की मांग पर असहमति जताई। पूर्व में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अभियुक्तों की ओर से हाईकोर्ट में की गई अपील की सुनवाई के दौरान यह बात सामने आई कि निचली अदालत में घटना से संबंधित पुलिस की स्टेशन डायरी सनहा पर तो कोई बहस ही नहीं हुई। हाईकोर्ट ने इसी को आधार बनाकर फैसले को निरस्त करते हुए मामले की दोबारा सुनवाई करने का आदेश निचली अदालत को दिया। हाईकोर्ट ने इस सुनवाई को तीन माह के अंदर पूरा करने का आदेश भी दिया। करीब तीन माह में बहस व साक्ष्य प्रस्तुत किए जाने के बाद ऋषभ राज हत्याकांड की सुनवाई पूरी हुई। 21 मई को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय रामशंकर सिंह ने भादवि की धारा- 302, 201 व 120 बी के तहत तीनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया। अगस्त 2006 में बोचहां थाना क्षेत्र के मैदापुर गांव में चार वर्षीय ऋषभ राज का अपहरण कर उसकी गला रेतकर हत्या कर दी गई। उसके पिता दिलीप कुमार चौधरी के बयान पर कृष्णा चौधरी, घनश्याम चौधरी, राधेश्याम चौधरी, चंदन चौधरी व विनोद चौधरी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। मामले का सत्र विचारण के बाद तत्कालीन एडीजे अरुण कुमार सिंह ने 25 मई 2012 को अभियुक्त व तीनों सगे भाइयों राधेश्याम चौधरी, चंदन चौधरी व विनोद चौधरी को फांसी की सजा सुनाई। जबकि उसके रिश्तेदार विश्वनाथ चौधरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

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