• प्रतिष्ठा की जंग में फंसे पायलट

    केंद्रीय मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को अजमेर लोकसभा क्षेत्र पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए...

    अजमेर !   केंद्रीय मंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को अजमेर लोकसभा क्षेत्र पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए पार्टी की अंर्तकलह, कार्यकर्ताओं की हताशा और संघ की सक्रियता के कारण काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। इस सीट पर दूसरी बार चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी पायलट का मुख्य मुकाबला अपने परम्परागत प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी के जलदाय मंत्री सांवर लाल जाट से है हालांकि इस सीट पर 10 अन्य उम्मीदवार भी मैदान में हैं। कांग्रेस में व्यापत गुटबाजी और बड़े नेताओं की नाराजगी दूर  करने के लिए पायलट ने कई बड़े नेताओं जिनमें पूर्व मंत्री ललित भाटी, पार्टी पदाधिकारी सुरेश गर्ग, प्रकाश गादिया को मनाने के साथ ही पार्टी से निष्कासित तीन लोगों को वापस शामिल किया है। इसके अलावा जातिगत वोटों के धु्रवीकरण को रोकने के लिए पार्टी से निष्कासित मेवात कठात समुदाय के नेता वाजिद चीता से जेल में मुलाकात कर वोटों को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है।  पायलट को सबसे बड़ा झटका कांग्रेस के पूर्व नगर सुधार न्यास अध्यक्ष नरेन शाहनी भगत का चुनाव के बीच पार्टी छोडने से लगा है। कांग्रेस के लिए सबसे बडी चुनौती गत विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के कारण कार्यकर्ताओं में हताशा बनी हुई है। इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री सीपी जोशी गुट के बड़े नेता पायलट के लिए परेशानी का सबब बने हुए है। ऐसे नेता मंच पर तो साथ रहते है लेकिन चुनाव में सक्रिय भागीदारी नहीं निभा रहे है। इसके साथ ही इस संसदीय सीट के सभी आठों विधानसभा क्षेत्र अजमेर उत्तर, अजमेर दक्षिण, किशनगढ, मसूदा, पुष्कर, ब्यावर, केकडी और दूदू में कांग्रेस की करारी हार से उपजी हताशा है। इस संसदीय सीट पर कांग्रेस को लगभग एक लाख 95 हजार से अधिक मतों का नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई करना पार्टी के लिए मुश्किल लग रहा है।  वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं में मोदी लहर और विधानसभा चुनावों में मिली अप्रत्याशित जीत का उत्साह छाया हुआ है। संघ की सक्रियता से भी पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश है। इस सीट पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे द्वारा पूरा जोर लगाने के कारण कांग्रेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। जहां तक चुनाव प्रचार में उठाए जाने वाले मुद्दों का सवाल है उसमें पायलट विकास को ही मुख्य मुद्दा बना रहे हैं और अपने कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों की दुहाई दे रहे है जबकि भाजपा महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को मुद्दा बना रहे हैं। इस सीट पर चुनाव प्रचार में दोनों ही प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशी जन सभाओं और जनसंपर्क में जुटे हुए हैं। पायलट के प्रदेश अध्यक्ष होने के कारण बीच-बीच में उन्हें राय के अन्य संसदीय क्षेत्रों में भी जाना पड़ता है जिसके कारण कांग्रेस का प्रचार व्यवस्थित नहीं रह पाता।

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