जसवंत व वसुंधरा की प्रतिष्ठा लगी दांव परजोधपुर ! विश्व में सबसे बड़े राजस्थान के बाड़मेर जैसलमेर संसदीय क्षेत्र में इस बार का लोकसभा चुनाव मूंछों की लड़ाई बन चुका है। भारतीय जनता पार्टी ने इस बार यहां से कांग्रेस एवं जाट नेता कर्नल सोनाराम चौधरी को चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल कर पार्टी प्रत्याशी बनाया है। इसके विरोध में पार्टी से बगावत कर भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह ने निर्दलीय चुनावी दंगल में आकर इस चुनाव को मूंछों की लड़ाई बना दिया है। हालांकि भाजपा ने सिंह को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। एक तरफ कर्नल सोनाराम की उम्मीदवारी को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपनी प्रतिष्ठा का सावाल बना लिया है तो दूसरी और सिंह ने दमखम दिखाने के लिए अपनी मूंछें तान ली है। इन दोनों के बीच कांग्रेस के वर्तमान सांसद एवं प्रत्याशी हरीश चौधरी भी ताल ठोक रहे है तथा इस लड़ाई को खींचतान कर त्रिकोणीय बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।इसके अलावा आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार मांगीलाल गौड बहुजन समाज पार्टी के भालम सिंह सहित कुल 11 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे है। भारत-पाकिस्तान की सबसे लम्बी अन्तरराष्ट्रीय सीमा से जुड़े इस निर्वाचन क्षेत्र को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी भी इस प्रतिष्ठा की लड़ाई में फंसता हुआ नजर आ रहा है। श्री सिंह के चुनाव मैदान में आने के कारण इस क्षेत्र के जातिगत मतदाताओं का समीकरण भी बिगड़ गया है। कर्नल सोनाराम को उनकी जाति के मतदाताओं का अच्छा समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है लेकिन जातिगत मतों के करीब 25 प्रतिशत हिस्से पर हरीश चौधरी का कब्जा भी है। दूसरी तरफ श्री सिंह को राजपूत एवं अल्पसंख्यक मतदाताओं का समर्थन मिलने का भरोसा है। इस कारण यहां इस बार अन्य जातियों के मतदाताों की ही निर्णायक भूमिका रहेगी। थार मरुस्थल के करीब 70 हजार वर्ग किलोमीटर में फैले इस संसदीय क्षेत्र में कुल 16 लाख 78 हजार 686 मतदाता हैं। जिनमें से आठ लाख 95 हजार 834 पुरुष एवं सात लाख 82 हजार 852 महिला मतदाता है। इस क्षेत्र में सर्वाधिक संख्या ढाई से तीन लाख जाट मतदाताओं की है और इसी आधार पर यहां से कांग्रेस व भाजपा ने जाट जाति के उम्मीदवारों का ही चयन किया है । इसके अलावा करीब दो लाख राजपूत एवं इतने ही मुस्लिम एवं अनुसुचित जाति एवं जनजाति के मतदाता हैं। ब्राह्मण एवं बनिया मतदाता भी लगभग डेढ़ लाख तथा अन्य जातियों के मतदाता शामिल हैं। इस निर्वाचन क्षेत्र में आने वाली आठ विधानसभा सीटों में से सात पर भाजपा का कब्जा है लेकिन शिव से श्री सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह भाजपा के विधायक हैं। वह भी इस बार राजधर्म तथा पुत्रधर्म में फंस गए हैं। अब तक चुनावों में अपने प्रतिद्वंदी रहे कर्नल सोनाराम के समर्थन में आने से कतरा रहे हैं और खुलकर पिता का समर्थन भी नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने बीच का रास्ता निकालते हुए खराब स्वास्थ्य के नाम पर पार्टी से एक माह का अवकाश मांगा है लेकिन कहीं-कहीं पिता का समर्थन करते हुए नजर आ रहे हैं। कर्नल सोनाराम स्वयं भी कांग्रेस के टिकट पर बायतू से गत विधानसभा चुनाव हारे थे। विधानसभावार भाजपा को मिले मतों के हिसाब से तो इस क्षेत्र में भाजपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। कांग्रेस के पास मात्र बाडमेर विधानसभा से मेवाराम जैन ही जीत पाये थे। इस संसदीय क्षेत्र से चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो भाजपा ने वर्ष 2004 के चुनाव में यहां से जीत दर्ज की है यहां से मानवेन्द्र सिंह ने ही पार्टी का खाता खोला था। इसके अलावा कांग्रेस ने यहां से 9 बार सफलता अर्जित की है। लगातार तीन बार संसद में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कर्नल सोनाराम इस बार पाला बदलकर भाजपा के साथ आ गये है। इसके अलावा दो बार निर्दलीय तथा एक-एक लोकदल भारतीय लोकदल एवं राम राय परिषद के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। क्षेत्र के अधिकांश लोगों का जीवन कृषि एवं पशुपालन पर ही निर्भर है और इस क्षेत्र की मुख्य समस्याओं में पेयजल एवं रोजगार की समस्या है। केन्द्र एवं राय सरकारों की ओर से इस समस्या को सुलझाने के लिये अब तक किये गये प्रयास भी बोने ही साबित हो रहे है। इस समस्या के चलते क्षेत्र के लोगों को अपना घर बार छोड़कर हर साल रोजगार की तलाश एवं अपने मवेशियों को चराने के लिये अन्य पड़ोसी रायों में पलायन करना पड़ता है। क्षेत्र के कई गांव एवं ढाणियां अभी तक सड़क एवं बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं से नहीं जुड़ी है। सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण निर्वाचन विभाग एवं जिला प्रशासन ने निष्पक्ष मतदान कराने के लिये सभी तैयारियां कर ली है तथा दूरदराज की ढाणियों में मतदाताओं के लिये चल मतदान केन्द्र स्थापित किये गये है जो उंटगाडियों में संचालित होंगे। हालांकि ऐसे मतदान केन्द्रों की संख्या कुछ ही है। गुजरात से लगते हुये इस क्षेत्र में इस बार चुनावों में मोदी लहर ने अपना रंग दिखाया तो र्कनल सोनाराम की जीत होगी लेकिन जातिगत समीकरण हावी रहे तो चुनाव परिणामों में उलटफेर होने का अंदेशा भी रहेगा।