• विवादित ढांचा गिराने के लिए हिंदू संगठनों ने साजिश रची थी

    लोकसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से महज छह दिन पूर्व शुक्रवार को एक समाचार पोर्टल ने खुलासा किया है...

    कोबरापोस्ट का खुलासानई दिल्ली !  लोकसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से महज छह दिन पूर्व शुक्रवार को एक समाचार पोर्टल ने खुलासा किया है कि अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के पीछे 'उन्मादी भीड़' का हाथ नहीं था, बल्कि इसके लिए पहले से ही साजिश रची गई थी। पोर्टल के स्टिंग आपरेशन के मुताबिक साजिश कुछ इस तरह रची गई कि सरकारी एजेंसियों को भनक भी नहीं लगी। कोबरापोस्ट ने शुक्रवार को कहा, "दो हिंदू संगठनों विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और शिव सेना ने यह साजिश रची थी, लेकिन संयुक्त रूप से नहीं। 6 दिसंबर को कार्यरूप देने से पहले दोनों संगठनों ने एक योजना के तहत अपने कैडरों को प्रशिक्षित किया था।"कोबरापोस्ट ने कूटनाम आपरेशन जन्मभूमि के तहत की गई जांच के आधार पर दावा किया है कि यह भीड़ के उन्माद का नहीं बल्कि अत्यंत गुप्त तरीके से रची गई तोड़फोड़ की साजिश का नतीजा थी। इस साजिश की भनक सरकारी एजेंसियों को भी नहीं लग सकी।न्यूज पोर्टल के एक पत्रकार ने राम जन्मभूमि आंदोलन की अग्रिम पंक्ति में सक्रिय रहे 23 नेताओं का साक्षात्कार लिया। ये नेता विवादित ढांचा ढहाने में या तो साजिश रचने वाले या उसे अंजाम देने वाले के रूप में संलिप्त रहे थे।विवादित ढांचा ढहाने के मामले की जांच करने के लिए गठित लिब्राहन आयोग ने इनमें से 15 की ओर संकेत भी किया है।जिन लोगों का साक्षात्कार लिया गया उनमें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता उमा भारती, कल्याण सिंह और विनय कटियार शामिल हैं। इन नेताओं ने ढांचा ढहाए जाने से संबंधित घटनाओं के बारे में बातें कीं।राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कोबरापोस्ट के संपादक अनिरुद्ध बहल ने रिकार्ड किए गए साक्षात्कार को सुनाया जिसमें भाजपा, विहिप और शिव सेना के कुछ कद्दावर नेताओं ने दावा किया कि यह अभियान उनके कुछ स्वयंसेवकों ने सघन पशिक्षण और अभ्यास के बाद अंजाम दिया।स्टिंग में दावा किया गया कि विहिप की युवा शाखा बजरंग दल ने गुजरात के सूरखेज में और शिव सेना ने मध्य प्रदेश के भिंड और मुरैना में प्रशिक्षण दिया।इसमें दावा किया गया है कि आंदोलन में शामिल लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर और आचार्य धर्मेद्र सरीखे अग्रणी नेताओं के सामने लाखों कारसेवकों को शपथ दिलाई गई थी।

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