• समलैगिंकता अपराध नहीं : हाईकोर्ट

    समलैगिंक रिश्तों पर दिल्ली हाई कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि धारा 377 के तहत 18 साल से ज्यादा की उम्र के लोग अपनी रजामंदी से समलैगिंक रिश्ते कायम कर सकते है। रजामंदी से किया गया रिश्ता अपराध नहीं माना जाएगा।...

    दिल्ली। समलैगिंक रिश्तों पर दिल्ली हाई कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि धारा 377 के तहत 18 साल से ज्यादा की उम्र के लोग अपनी रजामंदी से समलैगिंक रिश्ते कायम कर सकते है। रजामंदी से किया गया रिश्ता अपराध नहीं माना जाएगा।

    कई वर्षो से चल रहे इस केस की सुनवाई का आज आखरी दिन था। ओर कोर्ट के फैसले के साथ ही समाज में एक नई बहस का जन्म मिल गया है। कोर्ट का फैसला आते ही तमाम सामाजिक संगठनों में बहस का मुदा छिड गया है। तमाम संगठनों का मानना है कि ये फैसला एडस की रोकथाम में काम आएगा।

    अधिकतर धारा 377 यौन शोषण के लिए मानी जाती है


    दिल्ली स्थित नाज फाउंडेशन ने 2001 में हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इस धारा में संशोधन की मांग की थी। अर्जी में कहा गया था कि दो वयस्कों ( होमो अथवा हेट्रो ) के बीच अगर आपसी सहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाए जाते हैं , यानी दो लोग अगर होमो सेक्सुअलिटी में संलिप्त हैं तो उनके खिलाफ धारा -377 का केस नहीं बनना चाहिए। हाई कोर्ट ने इस दलील को सही माना और कहा कि दो व्यस्कों पर किसी तरह की पाबंदी लगाना उनके मौलिक अधिकारों का हनन है।

    वीरप्पा मोइली ने कहा है कि फैसले की समीक्षा करके ही कोई जवाब दिया जाएगा। ''कानून मंत्री''

    india   delhi    act 377    homosextual      

अपनी राय दें