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योगी सरकार में पुलिस उत्पीड़न चरम पर और कानून व्यवस्थाध्वस्त : रिहाई मंच

पुलिस उत्पीड़न, फर्जी मुठभेड़, साम्प्रदायिकता और दलित उत्पीड़न और किसानों के बदतर हालात पर रिहाई मंच ने की बैठक

योगी सरकार में पुलिस उत्पीड़न चरम पर और कानून व्यवस्थाध्वस्त : रिहाई मंच
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लखनऊ। रिहाई मंच के लाटूश रोड लखनऊ स्थित कार्यालय पर बढ़ते पुलिस उत्पीड़न, फर्जी मुठभेड़, साम्प्रदायिकता और दलित उत्पीड़न पर बैठक हुई. बैठक में गन्ना और आलू किसानों के बदतर हालात को लेकर लोगों में चिंता जाहिर की.

मंच ने ट्रिब्यून की पत्रकार रचना खैरा के ऊपर मुक़दमा दर्ज होने की निंदा करते हुए कहा कि यह मीडिया की अभिव्यक्ति पर हमला है.

बैठक में राजनीतिक–सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि प्रदेश में पुलिसिया उत्पीड़न अपने चरम पर चल रहा है और कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है. मुख्यमंत्री योगी के आवास से महज एक किलोमीटर के अन्दर दिनदहाड़े हत्या हो रही है, भाजपा समर्थक अपराधियों के ऊपर से मुक़दमे वापस लिए जा रहे हैं. दूसरी तरफ प्रदेश में फर्जी मुठभेड़ की बाढ़ सी आ गयी है जिस पर राज मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश सरकार को नोटिस भी भेजा है. योगी सरकार में पुलिस इस तरह बर्बर और आपराधिक रुख अख्तियार कर ली है कि प्रतिदिन एक व्यक्ति की हिरासत में मौत होती है. अभी पिछले दिनों मुज़फ्फरनगर के खतौली तहसील में गौ-हत्या के नाम पर दो नाबालिक बहनों को गिरफ्तार किया गया जिसकी जितनी निंदा की जाये कम है.

बैठक में शामिल लोगों ने कहा जिस तरह से 500-500 रुपये में आधार कार्ड का डेटा बेचा जा रहा है उससे साफ़ होता कि सरकार अपने नागरिकों के निजता के अधिकार के प्रति कितनी जिम्मेदार है. जब ट्रिब्यून की पत्रकार अपने दायित्व का निर्वहन करके सरकार के लापरवाही की कलई खोल दी तो उनको सच बोलने की कीमत चुकानी पड़ रही है.

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि प्रदेश में किसानों के हालात दिन पर दिन बदतर होते जा रहे हैं. आलू किसान मुख्यमंत्री आवास और विधान सभा के सामने अपने आलू फेकनें के लिए मजबूर हैं लेकिन सरकार इस मानसिक दिवालियेपन पर चली गयी है कि हज हाउस की दीवारों को भगवा रंगकर साम्प्रदायिक तत्वों का मनोबल बढ़ा रही है.

बैठक में तय हुआ कि पूरे देश में बढ़ रहे दलित उत्पीड़न और साम्प्रदायिकता के खिलाफ एक राष्ट्रीय सम्मेलन किया जायेगा. बैठक में रिहाई मंच अध्यक्ष मुहम्मद शोएब, शहनवाज़ आलम, सृजनयोगी आदियोग, ज़ैद अहमद फारुकी, ओ पी सिन्हा, एहसानुल हक़ मालिक, बिरेन्द गुप्ता, हुसैन, राबिन वर्मा, राजीव यादव और अनिल यादव मौजूद थे.


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