दुष्कर्म पीड़ित बच्ची को इलाज से मना करने वालेसीएमओ निलंबित व निदेशक के खिलाफ अनुशानात्मक कार्रवाई
दिल्ली सरकार ले दुष्कर्म की पीड़िता बच्ची को अस्पताल से एंबुलेंस न देने चलते चाचा नेहरू सुपर स्पेशिलिटि अस्पताल के एमरजेंसी मेडिकल अधिकारी को निलंबित करने की सिफारिश की है

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ले दुष्कर्म की पीड़िता बच्ची को अस्पताल से एंबुलेंस न देने चलते चाचा नेहरू सुपर स्पेशिलिटि अस्पताल के एमरजेंसी मेडिकल अधिकारी को निलंबित करने की सिफारिश की है। इसके साथ ही चाचा नेहरू अस्पताल के निदेशक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि इस बाबत उपराज्यपाल अनिल बैजल को सिफारिशों का पत्र भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि एमरजेंसी मेडिकल अधिकारी ने नियमों की पालना नहीं की है जबकि बलात्कार पीड़िता के मामले में नियम निर्धारित हैं और मामले में नियमों की अवेहलना कर लापरवाही बरती गई है।
बता दें कि पांच वर्षीय बच्ची को चाचा नेहरू अस्पताल में मेडिकल अधिकारी ने बच्ची को प्राथमिक उपचार देकर लोक नायक अस्पताल के लिए रेफर कर दिया था और जब पीड़िता के परिजनों ने एंबुलेंस की मांग की जिस पर उन्हें इनकार कर दिया गया। इस पर सरकार ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि पीड़िता को वहीं पर उपचार देना चाहिए था।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उसे लोक नायक अस्पताल भेजने की जरूरत नहीं थी यदि रेफर किया भी था तो उसे कैट्स एंबुलेंस से किसी महिला चिकित्सक की मौजूदगी में भेजना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि लोक नायक अस्पताल में बच्ची का इलाज किया गया और उसे अगले दिन छुट्टी दे दी गई। लेकिन पूरे मामले में निदेशक व सीएमओ की घोर लापरवाही सामने आई है इससे बचा नहीं जा सकता है। इसीलिए सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। उन्होंने बताया कि सरकार ने बाबू जगजीवन राम अस्पताल के चिकित्सा अधिक्षक को भी उसके पद से हटाने के आदेश की सिफारिश की है। श्री जैन ने बताया कि उनके खिलाफ भी कुछ गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
दिल्ली सरकार का अमानवीय चेहरा आया सामने: विजेंद्र
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने आज आप सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि कहा कि गांधी नगर में पांच वर्षीय बच्ची के रेप मामले में दिल्ली सरकार का अमानवीय चेहरा सामने आया है। सरकार के गीता कालोनी स्थित बच्चों के चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय सीएनबीसी ने इस मामले में जिस असंवेदनशीलता का परिचय दिया है, सरकार ने उसे जानबूझकर नजरअंदाज कर रही है। लगता है सरकार अपने उपर दोष नहीं आने देना चाहती। सरकार इस बात को झुठला नहीं सकती कि हस्पताल ने रेप पीड़ित बच्ची की एम्बुलेंस देने के इन्कार कर दिया और उसे 12 किलोमीटर बाइक पर ले जाना पड़ा। बताया जा रहा है कि हस्पताल से ड्यूटी रजिस्टर तक गायब कर दिया गया है, ताकि हस्पताल के डॉक्टर किसी पचड़े में न पड़ें। परन्तु सरकार सारा दोष स्कूलों पर मड़ रही है।
नेता विपक्ष ने कहा कि इस मामले में एसडीएम से जांच के अतिरिक्त सतर्कता शाखा भी करे जांच ताकि सारे मामले की स्वतंत्र रूप से गम्भीर जांच हो सके और सभी तथ्य सामने आएं। विजेन्द्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि अस्पताल में ऐसे मामलों के लिए मैडिकल बोर्ड गठित है लेकिन यह बोर्ड नाममात्र का है और काम ही नहीं करता है। विपक्ष के नेता ने दिल्ली सरकार से मांग करी कि दिल्ली सरकार के हस्पतालों को रेप पीड़ितों और विशेषकर बाल रेप पीड़ितों के प्रति व्यवहार और उपचार के प्रति संवदनशीलता पैदा करे और दोषी डॉक्टरों के विरूद्ध कार्यवाही करे।


