हसदेव नदी पर 600 मीटर लंबे पुल के इंतजार में थमी विकास की रफ्तार
सरकार द्वारा प्रदेश में सड़क, पुल-पुलिया का जाल तो बिछाया जा रहा है

झोरा से कौड़ियाघाट के मध्य पुल बनने से 17 गांवों तक होगी आसान पहुंच
कोरबा-छुरीकला। सरकार द्वारा प्रदेश में सड़क, पुल-पुलिया का जाल तो बिछाया जा रहा है किन्तु आज भी अनेक दूरस्थ अंचलों के ग्रामीणों को विकास की मुख्यधारा से जुड़ने और अंतिम छोर का लाभ हासिल करने राह ताकनी पड़ रही है। वनांचल 17 गांव के ग्रामीण अपने चंहुमुखी विकास से महज एक पुल का अभाव के कारण दूर हैं। शासन से प्रशासकीय स्वीकृति के अभाव में इन आदिवासी ग्रामीणों का विकास वर्षों से थमा हुआ है।
विकास के क्रम में तेजी से आगे बढ़ रहे जिले के दर्जनों गांव आज भी इस कदर पहुंचविहिन हैं कि यहां के लोगों को नदी की लंबी दूरी पार कर जोखिम भरा आवागमन करना पड़ता है। कटघोरा विकासखंड के नगर पंचायत छुरीकला से 5 किमी दूर हसदेव नदी के तट पर स्थित झोराघाट की दूसरी ओर कौड़ियाघाट से लेकर करीब डेढ़ दर्जन गांव हैं जहां के लोग अपनी जरूरतों का सामान खरीदने के लिए छुरीकला के साप्ताहिक बाजार आते हैं। आने-जाने के लिए या तो पैदल दूरी तय करनी पड़ती है या फिर अपने साथ लाये मोटरसायकल, सायकल से नदी के किनारे तक पहुंचते हैं और वहां से पैदल वाहन को नदी के रास्ते लेकर इस पार आते हैं। खरीदारी के बाद वापसी भी इसी तरह होती है। पुरुषों के अलावा महिलाएं और बच्चे भी इसी तरह आना-जाना करते है। बरसात के दिनों में यह आवागमन और भी जोखिम भरा होता है। अन्य कार्यों के लिए भी नदी पार कर आना पड़ता है अथवा 65 किमी की लंबी दूरी तय कर अपने गांव से बांगो तक पहुंचते हैं और वहां से फिर आगे का सफर तय करते हैं। 65 किमी की यह घुमावदार और खर्चीली दूरी हसदेव नदी पर झोराघाट से कौड़ियाघाट तक 600 मीटर लंबा पुल बना देने से न सिर्फ घटेगी बल्कि दोनों ओर का आवागमन सुगम होने से यहां के ग्रामीणों के चहुंमुखी विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
वर्षों से इंतजार, कब मिलेगी पुल की सुविधा?
धुर वनांचल क्षेत्रों में विकास के लिए जहां सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है वहीं करीब 3 साल से महज 22 करोड़ 38 लाख की प्रशासकीय स्वीकृति के अभाव में झोरा घाट से कौड़ियाघाट पुल का कार्य प्रारंभ नहीं हो पा रहा है।
समय-समय पर होने वाले राजनीतिक व सामाजिक कार्यक्रमों में क्षेत्रीय विधायक द्वारा पुल निर्माण शीघ्र कराये जाने की घोषणा की जाती है किन्तु यह कब पूरी होगी, इसका इंतजार ग्रामीणों को है। पुल बन जाने से ग्राम कौड़ियाघाट, कछार, तिलईडांड, पंडरीपानी, मछलीभांठा, डोंगाघाट, हथमार, अजगरबहार, गढ़तरहा, कोसगईगढ़ सहित करीब 17 गांव की 30 हजार से अधिक की आबादी लाभान्वित होगी।
स्वीकृति के लिए भेजा है प्रस्ताव: ईई
इस विषय में सेतु निगम के ईई एके जैन ने बताया कि पूर्व में झोराघाट से कौड़ियाघाट के मध्य पुल के लिए प्रस्ताव भेजा गया था जो तकनीकी कारणों से स्वीकृत नहीं हो पाया। इसके बाद पुन: लगभग ढाई-तीन वर्ष पूर्व 22 करोड़ 38 लाख का प्रस्ताव प्रशासकीय स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया है। उक्त प्रशासकीय स्वीकृति अब तक अप्राप्त है। स्वीकृति मिलते ही निर्माण हेतु आवश्यक प्रक्रिया पूर्ण कर कार्य प्रारंभ कराया जा सकेगा।


