विकास पर ब्रेक लगाएगा तेल
एक फरवरी को आम बजट पेश होने से पहले सोमवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया

नई दिल्ली। एक फरवरी को आम बजट पेश होने से पहले सोमवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया। सर्वेक्षण ने देश की अर्थव्यवस्था की जो तस्वीर दिखाई है, उसके मुताबिक अगले कुछ सालों में भारत एक बार फिर से दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश साबित हो सकता है। हालांकि सर्वेक्षण में जहां जीएसटी और नोटबंदी जैसे कामों को सराहा गया है। वहीं, कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमतों को लेकर आगाह भी किया गया है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत के लिए आगे का रास्ता अभी इतना आसान नहीं है। सबसे बड़ी चुनौती बढ़ती हुई तेल की कीमतों की वजह से आने वाली है। इसका सीधा असर महंगाई के स्तर पर पड़ेगा। महंगाई बढ़ी, तो ब्याज दर भी बढ़ेंगी और ऐसे में अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती बढ़ जाएगी। वहीं दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) या डूबे हुए ऋणों का समाधान और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली को लागू करना ऐसे प्रमुख कारक हैं, जिनसे भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर में इजाफा होगा और जीडीपी विकास दर चालू वित्त वर्ष 2017-18 में 6.75 फीसदी रह सकती है।
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने यह बात सोमवार को लोकसभा में वर्ष 2017-18 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश करते हुए कही। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों के लिए पुन: पूंजीकरण योजना, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों को हाल ही में आसान बनाए जाने और वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार के बीच भारत के निर्यात में इजाफा होने से देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और जीडीपी विकास दर बढ़कर 6.5 फीसदी रह सकती है, जोकि पिछले महीने केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) की ओर से जारी अनुमान से अधिक है।
जलवायु परिवर्तन की वजह से घट सकती है किसानों की आमदनी
किसानों की आमदनी वर्ष 2022 तक दोगुना करने के सरकार के लक्ष्य को बड़ा झटका लग सकता है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण उनकी आय बढ़नी तो दूर इसमें गिरावट की आशंका है। आर्थिक सर्वेक्षण में यह बात कही गई है। इसमें कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभाव देश के कृषि क्षेत्र पर दिखने शुरू हो गए हैं। इसके अनुसार, जलवायु परिवर्तन के परिणाम स्वरूप कृषि से होने वाली वार्षिक आमदनी में औसतन 15 से 18 प्रतिशत की कमी और असिंचित क्षेत्रों में 20 से 25 प्रतिशत की कमी हो सकती है।
'टीबीएस' में बढ़ोतरी को हासिल करने के लिए निर्णायक फैसले
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रह्मण्यम ने कहा कि दोहरे तुलन पत्र (टीबीएस) में बढ़ोतरी की चुनौती को हासिल करने के लिए निर्णायक फैसले लिए गए। टीबीएस में चार 'आर' शामिल हैं, जो मान्यता, समाधान, पुन: पूंजीकरण और सुधार के द्योतक हैं। मान्यता को अधिक प्रगतिशील बनाया गया और अन्य दो 'आर' का समाधान करने की कोशिश की गई।


