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अब 'खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब' वाली धारणा बदल रही है: दिलीप टिर्की

 भारत के पूर्व हाकी खिलाड़ी एवं सांसद दिलीप टिर्की ने कहा कि कुछ वर्ष पहले तक कहा जाता था कि खेलो कूदोगे तो होगे खराब, लेकिन अब यह धारणा बदल रही है

अब खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब वाली धारणा बदल रही है: दिलीप टिर्की
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नई दिल्ली। भारत के पूर्व हाकी खिलाड़ी एवं सांसद दिलीप टिर्की ने कहा कि कुछ वर्ष पहले तक कहा जाता था कि खेलो कूदोगे तो होगे खराब, लेकिन अब यह धारणा बदल रही है। भारतीय टीम के पूर्व कप्तान ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खेलो इंडिया विजन में भी इसकी भरपूर झलक दिखती है। बदलते परिवेश में अभिभावक अब अपने बच्चों को क्रिकेट से लेकर टेनिस और हाकी में भी खेलने के लिए आगे भेज रहे हैं।

हालांकि, मैदान पर खिलाड़ी देश को पदक दिलाता है। लेकिन मेरा मानना है कि एक खिलाड़ी तब तक अपनी भूमिका को पूरा नहीं कर सकता, जब तक कि उसे अच्छा फिजियोथेरेपिस्ट न मिले।

खेल के मैदान में जरा सी चूक से खिलाड़ी की मांसपेशियों से लेकर पूरे शरीर में लकवा मार सकता है, जिसे केवल फिजियोथेरेपिस्ट खिलाड़ी के साथ बेहतर तालमेल के जरिए चंद क्षणों में दूर कर सकता है।

मावलंकर हॉल, कांस्टीट्यूशन क्लब में हुए स्पोर्ट्स कनेक्ट 2018 में उन्होंने यह बात कही। देश भर के लगभग 800 से अधिक फिजियोथेरेपिस्ट, युवा छात्र व विशेषज्ञ इसमें शामिल हुए।

टिर्की ने कहा कि खिलाड़ी के लंबे समय तक बेहतर खेलने की प्रक्रिया में फिजियोथेरेपी और फिजियोथेरेपिस्ट सबसे अहम होते हैं। जो पर्दे के पीछे रहकर निरंतर अपने काम में जुटे रहते हैं।

इस दौरान निशानेबाज जसपाल राणा ने कहा कि किसी भी मैच में हार-जीत एक पहलू होते हैं, लेकिन दूसरा पहलू खिलाड़ी के फिटनेस को बेहतर रखना होता है। इस कार्य को एक अच्छा फिजियोथेरेपिस्ट ही अंजाम दे सकता है।


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