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उत्तर कोरिया ने की मिसाइल परीक्षण की पुष्टि

उत्तर कोरिया ने प्रथम अंतरद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) के सफल परीक्षण की पुष्टि की है

उत्तर कोरिया ने की मिसाइल परीक्षण की पुष्टि
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सियोल। उत्तर कोरिया ने प्रथम अंतरद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) के सफल परीक्षण की पुष्टि की है। देश के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के निर्देश पर इस मिसाइल का परीक्षण किया गया था।

सरकारी प्रसारक केसीटीवी के मुताबिक, हवासोंग-14 मिसाइल को स्थानीय समयानुसार सुबह लगभग 9.40 बजे उत्तर प्योंगान प्रांत से दागा गया और यह 2,802 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचा। मिसाइल ने पूर्वी सागर में गिरने से पहले लगभग 40 मिनट में 933 किलोमीटर की दूरी तय की।

समाचार एजेंसी योनहप के मुताबिक, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने मिसाइल परीक्षण पर चर्चा के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक की अध्यक्षता की।

अमेरिकी सेना ने इस मिसाइल को मध्यम दूरी की मिसाइल बताया है।

हवाई स्थित प्रशांत कमान की ओर से जारी बयान के मुताबिक, "उत्तरी अमेरिकी वायुक्षेत्र रक्षा कमान (एनओआरएडी) का आकलन है कि उत्तर कोरिया से दागी गई मिसाइल उत्तरी अमेरिका के लिए खतरा नहीं है।"

बयान के मुताबिक, "हम उत्तर कोरिया की गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए हैं।"

सियोल के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ (जेसीएस) के प्रवक्ता सेना के कर्नल रोह जे-चियोन ने कहा कि दक्षिण कोरिया और अमेरिका अभी भी इस मिसाइल की तय दूरी और अन्य जानकारियों का विश्लेषण कर रहे हैं।

जापान के रक्षा मंत्रालय के सार्वजनिक मामलों के अधिकारी ताकाहिरा हिरानो ने कहा कि यह मिसाइल कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्वी सागर में जा गिरी। हो सकता है कि यह देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गिरी हो।

संबंधित वैज्ञानिकों के संघ के वैश्विक सुरक्षा कार्यक्रम के निदेशक डेविड राइट ने कहा कि यदि अमेरिकी प्रशांत कमान द्वारा तय की गई दूरी सही है तो मिसाइल की अधिकतम मारक क्षमता 6,700 किलोमीटर है।

इस घटना पर ट्रंप ने तुंरत ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की।

ट्रंप ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, "उत्तर कोरिया ने एक और मिसाइल परीक्षण किया। क्या यह आदमी अपनी जिंदगी में कुछ अच्छा नहीं कर सकता?"


उन्होंने कहा, "विश्वास करना मुश्किल है कि दक्षिण कोरिया और जापान इसे अधिक समय तक सहन नहीं कर पाएंगे। शायद, चीन जल्द ही उत्तर कोरिया को लेकर कोई बड़ा कदम उठाएगा और इस किस्से को हमेशा के लिए खत्म कर देगा।"

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने मीडियाकर्मियों को बताया कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से बार-बार मिली चेतवानियों को नजरअंदाज कर यह परीक्षण किया गया है। यह परीक्षण दिखाता है कि अब खतरा बढ़ गया है।


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