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नई इस्पात नीति से 11 लाख नौकरियां तैयार होंगी : मंत्री

नई दिल्ली | केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि 'राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2017' के मसौदे में 2030-31 तक प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत को बढ़ाकर 160 किलोग्राम करना

नई इस्पात नीति से 11 लाख नौकरियां तैयार होंगी : मंत्री
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नई दिल्ली | केंद्रीय इस्पात मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह ने शुक्रवार को कहा कि 'राष्ट्रीय इस्पात नीति, 2017' के मसौदे में 2030-31 तक प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत को बढ़ाकर 160 किलोग्राम करना तथा इस्पात की उत्पादन क्षमता बढ़ाकर 30 करोड़ टन करना है। उन्होंने कहा कि इस नीति से कम से कम 11 लाख नई नौकरियों का सृजन होगा। सिंह ने भारत की नई इस्पात नीति के बारे में क्षेत्र के हितधारकों से सुझाव देने की अपील की और कहा, "इस्पात नीति के नए मसौदे को मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया जा चुका है। इस नीति के मसौदे में इस्पात की प्रति व्यक्ति घरेलू खपत बढ़ाने तथा इस क्षेत्र में क्षमता निर्माण बढ़ाने के लिए 10 लाख करोड़ रुपये के नए निवेश के बारे में प्रस्ताव किया गया है।"

मंत्री ने यहां 'मेक इन स्टील कांफ्रेंस' में कहा, "देश में अगले 50 वर्षो में इस्पात की मांग में कोई कमी नहीं होगी। हम ऐसी रणनीति बना रहे हैं कि इस्पात के उत्पादन में वृद्धि हो।"

इस सम्मेलन का आयोजन अग्रणी मल्टी कॉमोडिटी ई-कामर्स प्लेटफार्म -केएटीएम की ओर से इस्पात मंत्रालय, जेएसडब्ल्यू स्टील, एस्सार स्टील, सेल, मेस्को स्टील और आर्टडिनॉक्स के सहयोग से किया गया। इसमें चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस और ईरान सहित 15 देशों से 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

उम्मीद है कि इस साल भारत जापान से आगे निकलते हुए चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा इस्पात उत्पादक देश बन जाएगा। लेकिन देश की प्रति व्यक्ति इस्पात खपत केवल 62 किलोग्राम है, जबकि दक्षिण कोरिया की 1113 किलोग्राम और चीन की 488 किलोग्राम है और वैश्विक औसत 208 किलोग्राम है।

वैश्विक औसत की तुलना में भारत में प्रति व्यक्ति इस्पात की कम खपत पर चिंता जताते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इस स्थिति से निबटने के लिए कई पहल शुरू की गई है।

उन्होंने कहा, "इस्पात क्षेत्र के लिए मेटलर्जिकल कोल की सीमित उपलब्धता को नुकसानदेह मानते हुए इस मसौदा नीति में घरेलू कोकिंग कोल की आपूर्ति को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि वर्ष 2030-31 तक निर्यात पर निर्भरता आधी हो जाए तथा घरेलू इस्पात उत्पादन की क्षमता बढ़कर 30 करोड़ टन हो जाए। अनुमान है कि 2025 तक घरेलू मांग पूरी करने के लिए कच्चे इस्पात की क्षमता 300 मीट्रिक टन करने की आवश्यकता होगी।"

उन्होंने कहा, "सागरमाला परियोजना के तहत समुद तट के साथ-साथ इस्पात संयंत्रों की स्थापना का भी प्रस्ताव है। इस परियोजना में 2000 किलोमीटर राजमार्गो के जरिए तटीय क्षेत्रों को जोड़ने का प्रावधान किया गया है।"


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