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आप विधायकों ने राजनिवास में किया कब्जा

राजनिवास से जारी बयान में बताया कि सौरभ भारद्वाज की अध्यक्षता में 45 विधायकों का दल राजनिवास के सामने एकत्रित हो गया और उपराज्यपाल से मिलने की मांग करने लगा

आप विधायकों ने राजनिवास में किया कब्जा
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नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यालय में बुधवार को तब अजीबोगरीब परिस्थितियां बन गईं जब ग्रेटर कैलाश के विधायक सौरभ भारद्वाज ने पूर्व में समय लेकर चार विधायकों के साथ मोहल्ला क्लिनिक से जुड़े मामले में बातचीत के लिए समय उपराज्यपाल अनिल बैजल से समय लिया और मुलाकात के समय करीबन 45 विधायक पहुंच गए और फिर उन्होंने राजनिवास पर कब्जा जमा लिया। विधायकों से उपराज्यपाल ने मुलाकात की और बताया कि मोहल्ला क्लीनिक की फाईल की शिकायतों को देखते हुए जुलाई में ही मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है। लेकिन विधायकों ने देर रात तक उनके कार्यालय में कब्जा जमाए रखा।

राजनिवास से जारी बयान में बताया कि सौरभ भारद्वाज की अध्यक्षता में 45 विधायकों का दल राजनिवास के सामने एकत्रित हो गया और उपराज्यपाल से मिलने की मांग करने लगा। उपराज्यपाल ने तीन बजे पूर्व निधारित न्यायालय की सुनवाई के बावजूद भी सभी प्रतिनिधियों से मुलाकात की। पहले तो विधायकों ने अपने विधानसभा क्षेत्रों में मोहल्ला क्लिनिक न बनने पर चिंता जताई व उपराज्यपाल ने विधायकों को ध्यान से सुना और फिर मौजूदा हालातों से अवगत कराया।

राजनिवास ने कहा कि दुर्भाग्यवश विधायकों का रवैया बेहद अशिष्ट एवं असंतोषपूर्ण हो गया। उपराज्यपाल द्वारा सभी विधायकों को पूरा ब्यौरा दिए जाने के बाद बार-बार यह बताए जाने के बावजूद कि प्रस्ताव मुख्यमंत्री को उसमें निहित शिकायतों को देखने के लिए 5 जुलाई, 2017 को भेज दिया गया है, विधायकों ने तथ्यों एवं तर्कों में बिना दिलचस्पी लिए अशिष्ट व्यवहार जारी रखा।

उपराज्यपाल ने मुख्यमंत्री से भी इस विषय को सुलझाने के लिए बातचीत की और समझाया कि लोकतांत्रिक सरकार में तथ्यों के आधार पर ही निर्णय लिए जाते हैं और अभी राजनिवास में कोई फाईल लंबित नहीं है। स्वास्थ्य मंत्री द्वारा उचित रूप से प्रस्ताव प्रस्तुत करने के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकता है। एक संवैधानिक पदाधिकारी के कार्यालय में दबाव बनाकर मामले को निपटाना कानून के मुताबिक उचित तरीका नहीं है। मुख्यमंत्री ने भी इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और आज पांच बजे प्रस्तावित अपनी साप्ताहिक बैठक में भी नहीं आए।

राजनिवास ने बताया कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कार्यभार संभालने के ठीक 10 दिन के बाद ही दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल फैसले संख्या 2396, 26 जुलाई 2017 को 1000 आम आदमी मोहल्ला प्रोजैक्ट के अन्तर्गत स्कूल परिसरों में पोर्टा केबिन में क्लिनिक खोले जाने से संबंधित है को अपनी अनुमति दी थी। हालांकि उपराज्यपाल सचिवालय में सितम्बर, अक्टूबर, नवम्बर व दिसम्बर 2016 में आम आदमी मोहल्ला क्लिनिक खोले जाने की संकल्पना एवं उसके क्रियान्वयन संबंधित कई शिकायतें प्राप्त हुई थी और उसके बाद यह मामला सतर्कता विभाग की जांच के लिए भेज दिया गया।

आम आदमी मोहल्ला क्लिनिक से संबंधित कैबिनेट निर्णय की फाईलें और उनके कामकाज से संबंधित शिकायतों की प्रतिलिपियां 05 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री को उनके विचार एवं शिकायतों को ध्यान में रखते हुए पुन: प्रस्तुत करने के लिए भेज दी गई। अभी तक यह फाईलें उपराज्यपाल सचिवालय में नहीं दी गई हैं। मुख्यमंत्री ने 23 अगस्त,2017 को एक बैठक कर नए मोहल्ला क्लिनिकों की स्थापना के लिए भूमि की उपलब्धता की स्थिति कीसमीक्षा की थी। फिलहाल उपराज्यपाल के पास आम आदमी मोहल्ला क्लिनिक से संबंधित कोई फाइलें लम्बित नहीं हैं न ही निर्वाचित सरकार द्वारा आम आदमी मोहल्ला क्लिनिक के लिए भूमि आवंटन से संबंधित कोई भी फाइल लंबित नहीं है। यह भी ध्यान दिया जाए कि मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री के साथ विचार विमर्श में उपराज्यपाल ने बार-बार कहा है कि मोहल्ला क्लिनिक की स्थापना के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया बनाइ जाए जिनमें विभिन्न नियम एवं न्यायिक घोषणाएं शामिल हों ताकि दिल्ली के लोगों की स्वास्थ्य की देखभाल बेहतर तरीके से की जा सके।

मोहल्ला क्लीनिक से जुड़ी शिकायतें...

-मोहल्ला क्लिनिक के लिए परिसर का चयन करने के लिए कोई पारदर्शी तरीका नहीं है।

-परिसर का किराया बाजार के किराए से अधिक है।

-पार्टी कार्यकर्ताओं के परिसर किराए पर लिए गए हैं।

-क्लीनिक का स्थान एवं मौजूदा डिस्पेंसरी का कोई समन्वय नहीं है।

-क्लीनिक चलाने के लिए चार घंटे पर्याप्त नहीं हैं।

-मरीजों का कोई उचित लेखा जोखा नहीं होना जिससे कि चिकित्सकों का भुगतान का निर्णय किया जा सके।


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