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महेंद्र भल्ला को हिन्दी आलोचना ने बिसराया

'महेंद्र भल्ला को हिन्दी आलोचना ने बिसराया’यह विचार आज प्रख्यात कवि लेखक एवं कला नाट्य समीक्षक प्रयाग शुक्ल ने महेंद्र भल्ला को याद करते हुऐ कहे

महेंद्र भल्ला को हिन्दी आलोचना ने बिसराया
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नई दिल्ली। 'महेंद्र भल्ला को हिन्दी आलोचना ने बिसराया’यह विचार आज प्रख्यात कवि लेखक एवं कला नाट्य समीक्षक प्रयाग शुक्ल ने महेंद्र भल्ला को याद करते हुऐ कहे। अवसर था साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित कार्यक्रम मेरे झरोखे से।

प्रयाग ने अपनी युवा अवस्था में उनसे दिल्ली में हुई दोस्ती को याद करते हुऐ कहा कि वे अपने परिवार के साथ-साथ दोस्तों के लिए भी प्रेरक और हिम्मत देने वाले रहे, उनका गद्य बहुत सुगठित था।

उन्होंने कहा कि उनके नाटक दिमागे हस्ती, दिल की बस्ती है कहां है कहां का जिक्र करते हुए कहा कि यह नाटक अपनी नई संरचना के कारण खूब लोकप्रिय हुआ। उनके उपन्यासों की चर्चा करते उन्होंने कहा की प्रवासी मनोवेदना को एसे उपन्यास हिन्दी में लिखे ही नहीं गए हैं। उनकी काविता के बिम्ब भी उन्हे सबसे अलग ठहराते हैं। इस अवसर पर महेंद्र भल्ला के पुत्र प्रख्यात चित्रकार अतुल भल्ला सहित कई अन्य अतिथि व नामचीन साहित्यकार भी उपस्थित थे।


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