लोकजनपदीय और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुई
घुंघरुओं की झंकार, ढोलक की थाप और सामूहिक रूप से एक ही स्वर-ताल में नृत्य करते कलाकार। ये दृश्य है, संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित पाँच दिवसीय लोकरंग का समारोह

भोपाल। घुंघरुओं की झंकार, ढोलक की थाप और सामूहिक रूप से एक ही स्वर-ताल में नृत्य करते कलाकार। ये दृश्य है, संस्कृति विभाग की ओर से आयोजित पाँच दिवसीय लोकरंग का समारोह। जहाँ अलग- अलग राज्यों से आए हुए कलाकारों ने एक ही मंच पर अपनी संस्कृति और लोकपरंपरा की झलक भोपालवासियों को दिखलायी।
बीएचईएल दशहरा मैदान में चल रहे लोकरंग उत्त्सव में आज बाह्य मंच पर आशा भारती द्वारा बुन्देली लोक गायन प्रस्तुत किया गया, जिसमें गणेश वंदना, देवी भजन और विवाह गीत प्रस्तुत किये गये। मालवा अंचल के संस्कार लोकगीतों की प्रस्तुति श्रीमती शालिनी व्यास, श्रीमती मंगला उपाध्याय और श्रीमती माधवी जोशी द्वारा दी गई। वहीं मूलत: नागौर (राजस्थान) के कलाकार लक्ष्मण भारती ने अमर सिंह राठौर और झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई सहित अन्य कहानियां सहित राजस्थान की कठपुतली नृत्य दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया।
वहीं समारोह में शाम मुख्य मंच की गतिविधियों धरोहर और देशांतर के अंतर्गत विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुईं। मध्यप्रदेश के गणगौर नृत्य की प्रस्तुति से आज धरोहर का शुभारंभ हुआ। इसके पश्चात जम्मू-कश्मीर के पारंपरिक डोगरी नृत्य को कलाकारों के लोकरंग के मंच पर प्रस्तुत किया। छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने मांदर और झांझ-मंजीरा, घुंघरू, टिमकी ढोल, मोहरी जैसे वाद्य यंत्रो की धुन पर लोक माँगलिक नृत्य करमा की प्रस्तुति दी। तमिलनाडु से आए कलाकारों द्वारा धार्मिक एवं कलात्मक नृत्य पिकॉक नृत्य"की प्रस्तुति दी गयी। पारंपरिक वेशभूषा में सुसज्जित कलाकारों ने झारखंड के पारम्परिक वाद्ययंत्रो की धुन पर एक ताल और लय में लोक नृत्य मर्दानी झूमर एवं करमा नृत्य की प्रस्तुति दे कर समारोह में आए लोगों को मंत्र मुग्ध किया।
वहीं देशांतर के अंतर्गत आज अफ़्रीकी संगीत की धुन पर कलाकारों ने पारम्परिक नृत्य अफ़्रीकन एक्रोबेट एवं रूस के कलाकारों द्वारा समादन और केंडेलेब्रा नृत्य की प्रस्तुति देकर, नृत्य में सौंदर्य और सामंजस्य का ख़ूबसूरती के साथ मंच पर प्रदर्शन किया।


