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लालू को जेल, नहीं मिलेगी बेल

चारा घोटाला के देवघर कोषागार मामले में दोषी करार दिए गए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को साढ़े 3 साल की सजा सुनाई गई है

लालू को जेल, नहीं मिलेगी बेल
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रांची। चारा घोटाला के देवघर कोषागार मामले में दोषी करार दिए गए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को साढ़े 3 साल की सजा सुनाई गई है। साथ ही लालू पर 5 लाख रुपए जुर्माना भी लगाया गया है। जबकि मामले के अन्य दोषी जगदीश शर्मा समेत 4 को 7 साल की सजा सुनाई गई है और 10 लाख रुपए जुर्माना लगाया गया है। अब लालू को निचली अदालत (सीबीआई कोर्ट) से जमानत नहीं मिलेगी। जमानत के लिए लालू को उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। रांची की सीबीआई अदालत से लालू यादव समेत सभी 16 दोषियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फैसला सुनाया गया। लालू रांची की बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं।

जुर्माना नहीं देने पर 6 महीने की अतिरिक्त सजा काटनी होगी। इससे पहले शनिवार दोपहर दो बजे के बाद विशेष कोर्ट के न्यायाधीश शिवपाल सिंह कोर्ट रूम पहुंचे थे। जबकि जेल में बंद लालू समेत सभी 16 दोषी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल हुए। जिसके बाद न्यायाधीश ने सभी दोषियों को फैसले के लिए शाम 4 बजे तक इंतजार करने का आदेश दिया था। दरअसल, रांची की सीबीआई विशेष अदालत में आज 6 दोषियों की सजा पर सुनवाई होनी थी। लालू समेत बाकी 10 दोषियों की सजा पर गुरुवार और शुक्रवार को सुनवाई पूरी हो चुकी थी।

89 लाख रुपए फर्जी तरीके से निकाले गए

गौरतलब है कि देवघर कोषागार आरसी 64ए/96 से 89 लाख रुपए फर्जी तरीके से निकाले जाने के मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव सहित 16 आरोपियों को दोषी करार दिया गया था। अदालत ने उन्हें 23 दिसम्बर को दोषी पाया था। 3 जनवरी से मामले के दोषियों की सजा पर सुनवाई चल रही है। कल लालू के वकील ने तबीयत का हवाला देते हुए अदालत से कम से कम सजा की गुहार लगाई थी। इससे पहले सीबीआई की विशेष अदालत ने 23 दिसम्बर को चारा घोटाले के एक मामले में लालू यादव को दोषी ठहराया था।

लालू पर 6 अलग-अलग केस

यह पहली बार नहीं है, जब लालू यादव जेल गए हैं। वो अब तक जेल में 375 दिन दिन से ज्यादा गुजार चुके हैं। लालू यादव पर चारा घोटाले को लेकर अलग-अलग 6 मामले चल रहे हैं। इससे पहले तीन अक्टूबर 2013 को चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में लालू को दोषी ठहराया गया था। इस मामले में 37 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था। 1996 में पशुपालन विभाग के दफ्तरों में छापेमारी की गई थी। इस दौरान कुछ फर्जी कंपनियों द्वारा पैसों की हेरा-फेरी करने का मामला सामने आया। साल 1996 में सीबीआई ने चाईबासा खजाना मामले में प्राथमिकी दर्ज की और 23 जून 1997 को सीबीआई ने आरोप पत्र दायर किया और लालू प्रसाद यादव को आरोपी बनाया।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई पर जदयू ने कसा तंज

लालू प्रसाद के सजा के मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई सुनवाई पर जनता दल (यूनाइटेड) ने तंज कसा है। जद (यू) ने लालू की तुलना राजद के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन से करते हुए कहा कि यह संगति का ही असर है।


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