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केंद्रीय करों में हिस्सा न बढ़ऩे से नाराज केजरीवाल और सिसोदिया ने बजट को बताया निराशाजनक

दिल्ली को बजट में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर 325 करोड़ रूपए मिलेंगे

केंद्रीय करों में हिस्सा न बढ़ऩे से नाराज केजरीवाल और सिसोदिया ने बजट को बताया निराशाजनक
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नई दिल्ली। दिल्ली को बजट में केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर 325 करोड़ रूपए मिलेंगे और इस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि हमें उम्मीद थी कि राजधानी दिल्ली की विकास परियोजनाओं के लिए अधिक धनराशि मिलेगी लेकिन दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार किया गया। बजट में मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए कुछ भी नहीं दिखाई देता। साथ ही उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने भी वर्ष 2001-02 से दी जा रही हिस्सेदारी में वृद्धि न होने पर कहा अन्य किसी राज्य के साथ ऐसा नहीं होता, केंद्र दिल्ली के नागरिकों को दोयम दर्जे का मानती है।

उन्होंने बताया कि दिल्ली का बजट 8739 करोड़ 2001-02 से बढ़कर 2017-18 तक 48 हजार करोड़ हो गया पांच हजार करोड़ रूपए के केंद्रीय करों में उसे आज भी 325 करोड़ ही मिल रहे हैं। जबकि बाकी राज्यों को हर साल वार्षिक वसूली के अनुसार हिस्सा मिलता है। केंद्र 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक निकायों के लिए धनराशि मुहैया करवाती है लेकिन दिल्ली को यह नहीं मिलता। दिल्ली सरकार दिल्ली नगर निगमों को 10.5 प्रतिशत वार्षिक कर राजस्व वसूली से देते हैं। 2018-19 में केंद्र सरकार ने कोई बजट नहीं दिया है जबकि दिल्ली ने एक हजार करोड़ रूपए की मांग की थी। सामान्य केंद्रीय सहायता मद में भी 2018-19 में 449.99 करोड़ रखे हैं जो पिछले साल 412.99 करोड़ रूपए थे। इसमें कुल 37 करोड़ की वृद्धि की है जबकि राज्य सरकार ने इस मद में इस साल एक हजार करोड़ रूपए व आगामी वित्त वर्ष के लिए 1500 करोड़ की मांग की थी।

डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड में पांच करोड़ का अनुदान दिया गया है जबकि यही राशि बीते वर्ष दी गई थी। दिल्ली को केंद्र ने गृह मंत्रालय के जरिए 758 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है जो कि मौजूदा वित्त वर्ष के 758 करोड़ के मुकाबले 4.2 प्रतिशत अधिक है। राज्य सरकार ने दावा किया है कि दिल्ली सरकार ने इलैक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए विशेष पैकेज की मांग की थी। श्री सिसोदिया ने बताया कि मैंने खुद दो हजार इलैक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए धनराशि आवंटित करने का आग्रह किया था। क्योंकि इससे दिल्ली में प्रदूषण की समस्या से निपटने में सहयोग मिलेगी लेकिन दुर्भाग्य से केंद्र सरकार ने इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया।

दिल्ली प्रदेश के संयोजक और पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने भी कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की राजधानी के विकास के लिए कोई नई योजना या नया पैसा देश के आम बजट में दिल्ली को नहीं दिया गया। यह आर्थिक मोर्चे पर भी दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार है और जीएसटी के बाद भी राजधानी दिल्ली के लिए एक रुपए का फायदा देश की मोदी सरकार को नहीं दिखा और दिल्ली को कुछ नहीं दिया। राजधानी दिल्ली में कानून व्यवस्था की हालत बेहद खऱाब है लेकिन फिर भी पुलिस की संख्या बढ़ाने के लिए या दूसरे पुलिस सुधार के लिए एक नए पैसे की वृद्धि नहीं की गई।

आप नेता व आर्थिक मामलों के जानकार एंव राज्यसभा सदस्य एनडी गुप्ता ने कहा कि वेतनभोगी वर्ग के लिए 40 हजार की छूट तो दी, लेकिन उसके उपर अलग से सेस बढ़ाकर और दूसरे चार्ज लगाकर पहले से ज्यादा बोझ डाल दिया, अगर हम टैक्स का हिसाब भी लगाएं तो हम पाएंगे कि पहले के मुकाबले ज्यादा ही बोझ वेतनभोगियों की जेब पर पडऩे वाला है।


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