नर्सरी कक्षा के लिए दाखिला प्रक्रिया आज से शुरू,स्कूल की वेबसाइट पर देनी होंगी सभी जानकारी
बुधवार से दिल्ली के स्कूलों में नर्सरी कक्षा के लिए दाखिला प्रक्रिया शुरू हो रही है और इस बार नर्सरी दाखिले को लेकर कुछ अहम बदलाव किए गए हैं

नई दिल्ली। बुधवार से दिल्ली के स्कूलों में नर्सरी कक्षा के लिए दाखिला प्रक्रिया शुरू हो रही है और इस बार नर्सरी दाखिले को लेकर कुछ अहम बदलाव किए गए हैं। जिसमें पहली बार नर्सरी में दाखिला लेने जा रहे बच्चों के लिए कोई ऊपरी आयु सीमा नहीं तय की गई है।
शिक्षा निदेशालय ने इस बाबत एक नोटिफिकेशन जारी किया है।
दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की दिल्ली सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी पर नकेल कसने के लिए कहा है कि अगर कोई स्कूल किसी बच्चे को दाखिला नहीं देता है तो उसे वजह बतानी होगी।
राज्य सरकार ने अपने आदेश में कहा है कि दाखिला नहीं देने पर स्कूल को जवाब देना होगा और अभिभावक स्कूल से दाखिला नहीं देने की वजह पूछ सकते हैं। स्कूलों को पांच दिन के भीतर जवाब देना होगा। यही नहीं अभिभावक स्कूल के खिलाफ शिकायत भी कर सकते हैं। शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर शिकायत की जा सकेगी।
दिल्ली सरकार की ओर से नर्सरी एडमिशन पर निगरानी के लिए निगरानी सेल गठित किए जाएंगे। हर जिले में निगरानी गठित होंगे और अभिभावक निगरानी सेल में भी शिकायत कर सकेंगे। वहीं नर्सरी एडमिशन के लिए दिल्ली सरकार ने 62 मानदंडों को रद्द किया है। अभिभावक की उपलब्धि, धूम्रपान और इंटरव्यू जैसे मानदंड रद्द किए गए हैं। आप को बता दें कि अब तक 1695 निजी स्कूलों में से 390 ने ही अपनी वेबसाइट पर दाखिला प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी है।
इस साल नर्सरी,नर्सरी, केजी और क्लास वन में दाखिले लेने जा रहे बच्चों की 31 मार्च 2018 तक निचली आयु सीमा तीन, चार और पांच साल होनी चाहिए। इस बार अभिभावकों को आवेदन फॉर्म लेने के लिए स्कूल के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं होगी।ज्यादातर स्कूल आवेदन फॉर्म ऑफलाइन के साथ-साथ ऑनलाइन भी उपलब्ध करा रहे हैं। अभिभावकों को चाहिए कि वह पहले स्कूल की वेबसाइट पर जांच लें कि क्या वहां फॉर्म उपलब्ध है या नहीं। इसके बाद जरूरत हो तभी स्कूल जाएं। अभिभावक अपने बच्चों के लिए 27 दिसंबर से 17 जनवरी तक आवेदन फॉर्म ले और उसे जमा करा सकते हैं। 15 फरवरी को दाखिले के लिए चुने गए छात्रों की पहली सूची जारी की जाएगी। हालांकि मनमानी की गुंजाईश यहां भी है क्योंकि अपने हिसाब से स्कूल मानदंड बना सकते हैं और इसी के आधार पर वे दाखिला में मनमानी कर सकते हैं।


