Top
Begin typing your search above and press return to search.

दिवाली से पहले ही जहरीली हुई दिल्ली की आबोहवा

दिवाली के एक दिन पहले ही कई स्थानों पर दिल्ली की हवा में इतना जहर घुल चुका है कि वह जानलेवा बन गई है

दिवाली से पहले ही जहरीली हुई दिल्ली की आबोहवा
X

नई दिल्ली। दिवाली के एक दिन पहले ही कई स्थानों पर दिल्ली की हवा में इतना जहर घुल चुका है कि वह जानलेवा बन गई है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता की निगरानी करने वाली प्रणाली 'सफर' के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में इस समय मथुरा रोड, लोदी रोड, पूसा, दिल्ली विश्वविद्यालय और पीतमपुरा में हवा की गुणवत्ता 'बेहद खराब' स्तर पर पहुंच चुकी है जबकि इंदिरागांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल थ्री, अयंगार, धीरपुर और पड़ोसी इलाके नोएडा और गुडगांव में स्थिति खराब है।

कल मंगलवार को ही दिल्ली में वायु की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई थी जिसे देखते हुए पर्यावरण प्रदूषण (बचाव एवं नियंत्रण) प्राधिकरण (ईपीसीए) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 'चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना' (जीआरएपी) के तहत बेहद खराब और गंभीर श्रेणी के प्रतिबंध लागू कर दिए। इसमें डीजल जेनरेटरों, हॉट मिक्स प्लांटों और पारंपरिक ईंट भट्ठों पर प्रतिबंध शामिल हैं। ये प्रतिबंध 15 मार्च 2018 तक लागू रहेंगे। इस दौरान बदरपुर ताप विद्युत संयंत्र भी बंद रहेगा। बुधवार को दिल्ली की हवा में प्रति घन मीटर 200 माइक्रोग्राम पीएम 2.5 प्रदूषक तत्व दर्ज किए गए। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की सेफ लिमिट से 8 गुना ज्यादा है।

25 माइक्रोग्राम को सेफ लिमिट माना जाता है। अधिकारियों का कहना है कि अगर हवा की गुणवत्ता और खराब होती है तो ऐसी परिस्थिति से निबटने के लिए समुचित प्रबंध किए गए है। पिछले साल दिल्ली में हवा की गुणवत्ता का स्तर बेहद खतरनाक श्रेणी में पहुंच गया था जिसके कारण सरकार को स्कूलों को बंद करने तथा निर्माण कार्यों पर रोक लगाने जैसे उपाय करने पड़े थे। ईपीसीए के अनुसार यदि इस बार पर्टिक्युलेट मैटर बेहद खतरनाक स्तर 2.5 पर पहुंच जाता है तो फिर कुछ और सख्त उपाय करने पडेंगे जिसमें निर्माण गतिविधियों पर रोक तथा आड ईवन प्रणाली लागू करने जैसे कदम उठाने पड़ सकते हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार मौजूदा हालात को देखते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक का कदम बिल्कुल सही है। अगर अभी वायु प्रदूषण की यह हालत है तो पटाखे जलने के बाद न जाने क्या हो जाता। दिल्ली में सांस लेना भी दूभर हो सकता था।

2016 में दीवाली के वक्त दिल्ली में पीए 2.5 का स्तर 778 माइक्रोग्राम दर्ज किया गया। यह स्तर क्रॉनिक ब्रॉन्काइटिस, लंग कैंसर और दिल की कई बीमारियां पैदा करता है। 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे ने दुनिया भर के 1,600 देशों में से दिल्ली को सबसे ज्यादा दूषित करार दिया था। गौरलतब है कि प्रदूषण का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। दिल्ली सरकार ने इस गंभीर समस्या पर ध्यान देते हुए सबसे पहले वाहनों की संख्या कम करने के लिए ऑड-इवन सिस्टम लागू किया था, लेकिन यह फार्मूला पूरी तरह से काम नहीं कर पाया।


Next Story

Related Stories

All Rights Reserved. Copyright @2019
Share it