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कालिदास समारोह में शास्त्रीय गायन ने कलाप्रेमियों का मनमोह लिया

 मध्यप्रदेश के उज्जैन में आयोजित अखिल भारतीय कालिदास समारोह में शास्त्रीय गायन एवं शाकुंतलम नृत्य नाटिका ने कलाप्रेमियों का मनमोह लिया।

कालिदास समारोह में शास्त्रीय गायन ने कलाप्रेमियों का मनमोह लिया
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उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन में आयोजित अखिल भारतीय कालिदास समारोह में शास्त्रीय गायन एवं शाकुंतलम नृत्य नाटिका ने कलाप्रेमियों का मनमोह लिया।

सात दिवसीय अखिल भारतीय कालिदास समारोह के दूसरे दिन कल शाम कालिदास संस्कृत अकादमी के मंच पर अर्चना तिवारी और उनके दल ने शास्त्रीय गायन और भरत नाट्यम शैली पर अपनी प्रस्तुति दी।

तबले पर पंडित माधव तिवारी, हार्मोनियम पर डॉ. रोहित चावरे और तानपुरा पर कुमारी नेहा तिवारी तथा रोशनी अरोरा ने उनकी संगत की।

शास्त्रीय गायन में सर्वप्रथम राग गौरख कल्याण ताल विलंबित एक ताल में निबद्ध बड़ा खयाल प्रस्तुत किया गया, जिसके बोल ‘’कैसे धीर धरू नाथ तुमरे बिन’’ थे। इसके पश्चात ‘छोटा खयाल’ राग गौरख कलमाण ताल तीन ताल मध्य लय में प्रस्तुत किया गया, जिसके बोल ”घर सौं निकलीं भरण पनिया’’ थे। इसके पश्चात ताल कहरवा में ठूमरी ”सकल बृज धूममयी हहारे’’ प्रस्तुत की गई।

समारोह में नई दिल्ली से आयी सुश्री एस़ कनका के निर्देशन में उनके दल ने महाकवि कालिदास रचित महाकाव्य अभिज्ञान शाकुंतलम पर भरत नाट्यम शैली पर आधारित ‘शाकुंतलम’ नृत्य नाटिका का मंचन किया गया। इस संपूर्ण नृत्य नाटिका की प्रस्तुति 10 दृश्यों में की गई।


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