बिजली कंपनियों पर 600 करोड़ रूपये की धांधली के आरोप
बिजली की दरों में वृद्धि के मुद्दे पर आज कई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन्स के पदाधिकारियों सहित कई नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने आज उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की

नई दिल्ली। बिजली की दरों में वृद्धि के मुद्दे पर आज कई रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन्स के पदाधिकारियों सहित कई नागरिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने आज उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की। उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी भी उनके साथ थे और उन्होंने विस्तारपूर्वक बिजली कम्पनियों एवं सरकार की सांठगांठ से चल रही धांधलियों की ओर ध्यान दिलाते हुये मांग की कि वह दिल्ली विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के माध्यम से मिली शक्तियों का उपयोग करते हुये दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग को मल्टी ईयर टैरि फ एवं रिटर्न ऑन इक्विटी के मामलों में जनसुनवाई दोबारा करने के निर्देश दें।
श्री तिवारी ने कहा कि केजरीवाल सरकार एवं निजी बिजली कम्पनियों की सांठगांठ से प्रस्तावित बिजनेश प्लान रैगुलेशन पूरी तरह जनहित विरोधी एवं कानूनी रूप से अमान्य है और इसको लागू करने पर पूरी तरह रोक लगाई जानी चाहिये। उन्होंने उपराज्यपाल अनिल बैजल से कहा कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार की सांठगांठ एवं डीईआरसी की लापरवाही के चलते बिजली कम्पनियों को 2002 से 2007 की बैंक दरों पर आधारित रिटर्न ऑन इक्विटी मिल रही है। वहीं 2002 एवं 2007 में बैंक ऋण दर 15 प्रतिशत थी और इक्विटी 16 प्रतिशत दी गई थी पर आज 2017 में बैंक ऋण ब्याज दर घटकर सिर्फ छह प्रतिशत रह गई है पर निजी कम्पनियों पर मेहरबान केजरीवाल सरकार आज भी उन्हें 14 प्रतिशत की दर पर इक्विटी रिटर्न दे रही है।
उन्होंने कहा कि केवल इक्विटी पर अधिक ब्याज की इस धांधली के चलते दिल्ली की जनता पर 600 करोड़ रूपये का वार्षिक अतिरिक्त भार पड़ रहा है।
श्री तिवारी ने उपराज्यपाल को बताया कि यदि केवल इक्विटी रिटर्न की धांधली और कुछ छोटे से कदम उठा लिये जायें तो दिल्ली में बिजली दरें अगले माह से ही 15 प्रतिशत तक कम की जा सकती हैं। इस अवसर पर यूनाइटेड रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के संगठन यूआरडी के अध्यक्ष जितेंद्र त्यागी, महासचिव सौरभ गांधी, कानूनी सलाहकार नलिन त्रिपाठी आदि मौजूद थे।


