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आजम खान को भी पसंद है सपा-बसपा का साथ

समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर से विधायक आजम खान को भी बसपा के समर्थन से उपचुनाव में मिली जीत के बाद सपा-बसपा का साथ पसन्द आ रहा है

आजम खान को भी पसंद है सपा-बसपा का साथ
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लखनऊ। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर से विधायक आजम खान को भी बसपा के समर्थन से उपचुनाव में मिली जीत के बाद सपा-बसपा का साथ पसन्द आ रहा है। आजम ने कहा कि लोग कहते हैं कि सपा और बसपा कैसे साथ हो सकते हैं, ये वो लोग कह रहे हैं जिनको यह जोड़ अच्छा नहीं लग रहा है।

उन्होंने कहा, "मैं ऐसे लोगों से कहना चाहता हूं कि कभी-कभी बहुत सी चीजें अच्छी नहीं लगती पर उन्हें अच्छी नहीं लगने के बावजूद मानना पड़ता है।"

उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं सपा-बसपा का रिश्ता लम्बा नहीं चलेगा, क्योंकि दोनों की विचार धाराएं अलग हैं। आजम ने कहा कि बुनियादी तौर पर तो यही बात गलत है कि दोनों की विचारधाराएं अलग हैं। आजम ने कहा कि विचारधारा का मतलब यह नहीं कि हर दल एक-एक महापुरुष को लेकर अपना आर्दश मान ले। सबसे अच्छा व्यक्ति वह है जो ईद और होली के साथ हर त्योहार मना ले।

समाजवादी पार्टी के मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि सपा-बसपा का साथ लम्बा चलेगा क्योंकि अगर हजारों साल का इतिहास उठाया जाए तो मुगल-बिट्रिश के अलावा भारत में कई साम्राज्य आए। लेकिन दबा, निचला वर्ग जमीन पर रहने वाला यहीं रहा। जिन्हें इंसाफ नहीं मिला तो आई हुकूमतें खत्म हो गई। उन्होंने कहा कि जब इंसाफ नहीं होगा तब हुकूमतें खत्म हो जाएगी।

बसपा से गठबंधन की बात पर आजम ने कहा कि किसी को साथ लेने के लिए दूसरों के मापदंड के साथ काम किया जाता है। उन्होंने कहा कि मुद्दा हिन्दू-मुसलमान का नहीं, श्मशान-कब्रिस्तान का नहीं, सवाल सुप्रीम कोर्ट के जजों के जनता की अदालत में आकर इंसाफ मांगने और संघ का सेना से तुलना करने का है। शायद यही सवाल जनता को अच्छे नहीं लगे। ऐसे में हमें अपने गिले-शिकवे दूर करके साथ आना चाहिए।

बसपा को कमजोरों की लड़ाई लड़ने और फासिस्ट ताकतों को कमजोर करने के लिए आपसी बैर भुला कर समाजवादी पार्टी का साथ देना चाहिए और हमें और उन्हें आखिरी हद तक साथ देना चाहिए। हमें बाइज्जत समझौता और बंटवारा करना चाहिए।


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