राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने लहराया अपना परचम
राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में जीत ने प्रदेश में पिछले 14 साल से सत्ता से दूर कांग्रेस को संजीवनी दे दी है

भोपाल। राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में जीत ने प्रदेश में पिछले 14 साल से सत्ता से दूर कांग्रेस को संजीवनी दे दी है।
कोलारस और मुंगावली सीटों पर हुए उपचुनाव के कल आए परिणामों में दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने अपना कब्जा बरकरार रखा है। कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाली इन दोनों सीटों पर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में लगभग पूरे मंत्रिमंडल और भाजपा संगठन से जुड़े आला नेताओं ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन कांग्रेस की परंपरागत मानी जाने वाली दोनों सीटों पर मतदाताओं ने एक बार फिर 'हाथ' का ही साथ दिया।
शिवपुरी के कोलारस विधानसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री श्री चौहान और प्रदेश की कैबिनेट मंत्री तथा श्री सिंधिया की बुआ यशोधरा राजे सिंधिया ने भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन को जिताने के लिए पूरी ताकत लगाई।
दोनों ने लगातार हेलीकॉप्टरों से ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी सभाएं की। वहीं श्री सिंधिया ने ग्रामीण अंचलों में जनता के बीच घूम-घूमकर लोगों के बीच यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की कि एक तरफ वे अकेले हैं और दूसरी तरफ मुख्यमंत्री और पूरी सरकार है।
श्री चौहान और श्रीमती सिंधिया ने कोलारस की जनता से पांच महीने का समय मांगते हुए कहा था कि अगर पार्टी पांच महीने में विकास ना कर पाए, तो आने वाले विधानसभा चुनाव में जनता उनको हटा दे।
दोनों पार्टियों के आला नेताओं के लिए यह चुनाव कितना अहम था, यह इस बात से भी समझा जा सकता है कि इस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह यादव एवं भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन ने नाम मात्र की चुनावी सभाओं को संबोधित किया।
लगभग सभी चुनावी सभाओं में दोनों प्रत्याशियों की मंच पर मौजूदगी के बीच श्री चौहान और श्री सिंधिया ही उनके लिए मतदाताओं से वोट मांगते थे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह चुनाव ही प्रदेश में श्री सिंधिया का राजनीतिक भविष्य तय करेगा। प्रदेश में कांग्रेस का एक धड़ा लगातार श्री सिंधिया को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की मांग कर रहा है।
वहीं सतना जिले के चित्रकूट और भिंड जिले के अटेर उपचुनाव में हार के बाद अब कोलारस और मुंगावली में भी हार ने भाजपा के आला नेतृत्व को अपनी रणनीति पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है।
कोलारस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र जैन को कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह यादव से आठ हजार मतों से ज्यादा से शिकस्त मिली है। इसके पहले श्री जैन 2013 में श्री यादव के पिता और कोलारस के पूर्व विधायक रामसिंह यादव से भी हारे थे।
वहीं अशोकनगर जिले की मुंगावली सीट पर भी आखिर तक जीत-हार की उत्सुकता के बीच कांग्रेस प्रत्याशी ब्रजेंद्र सिंह यादव ने भाजपा प्रत्याशी श्रीमती बाईसाहब यादव से दो हजार 124 मतों के अंतर से जीत हासिल कर ली।
मुंगावली उप चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज करने के साथ ही अपने पुराने रिकार्ड को तोड़ दिया। मुंगावली में एक बार कांग्रेस को छोड़कर कोई भी दल लगातार दो बार जीत दर्ज नहीं कर पाया। 1980 और 1985 में कांग्रेस ने जीत दर्ज कर इतिहास रचा था और लगातार दो जीत के अपने ही रिकार्ड को इस बार तोड़ दिया। 2013 में यहां कांग्रेस के महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा विधायक बने थे और उप चुनाव में कांग्रेस के ब्रजेन्द्रसिंह यादव विधायक चुने गए।
मुंगावली विधानसभा में जहां मुख्यमंत्री श्री चौहान ने रोड शो कर रात्रि विश्राम किया, उन क्षेत्रों के बूथों पर भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। सेहराई गांव में मुख्यमंत्री ने रात्रि विश्राम किया था, लेकिन यहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा जिलाध्यक्ष जयकुमार सिंघई ने इस हार को विकास की हार बताते हुए कहा कि जनता ने विकास का साथ नहीं दिया। यह चुनाव श्री चौहान या श्री सिंधिया के बीच का ना होकर प्रत्याशियों के बीच का था, लेकिन जनता ने विकास को नकार दिया।
मुंगावली में अब तक कांग्रेस ने छह और भाजपा ने तीन बार जीत हासिल की है। कोलारस अौर मुंगावली में विजय के सूत्रधार वरिष्ठ नेता श्री सिंधिया ने जीत के बाद कहा कि यह भाजपा के धनबल, बाहुबल और मंत्रीबल पर जनताबल की जीत है। भाजपा के तमाम हथकंडों के बावजूद जनता ने कांग्रेस पर विश्वास जताया, यह निश्चित तौर पर हमारे कार्यकर्ता और हमारे लिए प्रसन्नता की बात है।
वहीं भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने इसे कांग्रेस की तकनीकी जीत बताते हुए कहा कि वोट प्रतिशत भाजपा का बढ़ा है और यह इस बात का संकेत है कि भारी समर्थन वाले क्षेत्रों में भी कांग्रेस का ग्राफ तेजी से गिर रहा है।


