बैंकों को 2.11 लाख करोड़, सड़कों के लिए 7 लाख करोड़
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहाँ हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिये गए

नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था को गति देने, रोजगार बढ़ाने और बैंकिंग तंत्र को मजबूत करने के लिए सरकार ने दो महत्वपूर्ण निर्णयों के तहत दो साल में सार्वजनिक बैंकों को दो लाख 11 हजार करोड़ रुपये की पूँजी उपलब्ध कराने तथा सात लाख करोड़ रुपये के निवेश से पाँच साल में 83 हजार 677 किलोमीटर सड़कों के निर्माण की मंजूरी दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहाँ हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिये गए। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक नीतियों को लेकर विपक्ष के चौतरफा हमलों से घिरी सरकार का बचाव करते हुये कहा कि अर्थव्यवस्था की बुनियाद आज भी मजबूत है। उसे अागे किन आधारों पर और मजबूत बनाना है इसके लिए आर्थिक क्षमताओं के अनुकूल मार्ग तय किया गया है।
उन्होंने बताया कि मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक बैंकों को अगले दो साल में दो लाख 11 हजार करोड़ रुपये की पूँजी उपलब्ध कराने का फैसला किया है ताकि उनकी स्थिति मजबूत हो और ऋण देने की क्षमता बढ़े। साथ ही ऋण देने में बैंकों का फोकस छोटे तथा मझौले उद्योगों पर होगा जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस पूँजी में एक लाख 35 हजार करोड़ रुपये रिकैप बांडों के जरिये उपलब्ध कराये जायेंगे। शेष 76 हजार करोड़ रुपये बजटीय आवंटन तथा बाजार माध्यमों से आएंगे।
इंद्रधनुष योजना के तहत चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक बैंकों दी जाने वाली 10 हजार करोड़ रुपये की लक्षित राशि भी इसमें शामिल है। इंद्रधनुष के तहत अगले वित्त वर्ष तक कुल 18 हजार करोड़ रुपये बैंकों को दिये जाने हैं। श्री जेटली ने बताया कि बांडों का क्या स्वरूप होगा तथा उन्हें कौन और कब जारी करेगा, इसका फैसला सरकार बाद में करेगी। दो साल के दौरान यह काम पूरा कर लिया जायेगा। नोटबंदी के बाद बैंकों के पास बड़ी मात्रा में पैसा आया है और ऋण देने के लिए उनके पास पर्याप्त साधन हैं, लेकिन हर पैसा ऋण के रूप में नहीं दिया जा सकता।
ऋण देने के लिए पूँजी पर्याप्तता जरूरी है और इसे बढ़ाने के लिए आज यह तय किया गया कि सरकार को बड़ा कदम उठाना चाहिये। उन्होंने अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सरकार द्वारा पिछले साढ़े तीन साल में किए गए सुधारों का हवाला देते हुए कहा कि भारत तीन साल में लगातार दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था रहा है और सरकार का प्रयास इस स्थिति को बनाये रखना है।
नोटबंदी और जीएसटी लागू करने से अर्थव्यवस्था में आई मंदी को क्षणिक बताते हुये उन्होंने कहा कि जब बड़े ढाँचागत सुधार किये जाते हैं तो सीमित समय के लिए अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है, लेकिन लंबे समय में इसका फायदा होता है। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार ने महँगाई को काबू में रखते हुए सरकारी खर्च बढ़ाने, बैंको की स्थिति मजबूत करने तथा आधारभूत संरचनाओं के विकास पर खास जोर दिया है।
आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष गर्ग ने एक प्रस्तुतिकरण में कहा कि पिछले तीन वर्षों में महँगाई लगातार नियंत्रण में रही है। चालू खाता घाटा दो प्रतिशत से कम रहा है जिससे अात्मनिर्भरता बनी रही। विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर के पार पहुंच गया है।
उन्हाेंने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद 7.5 प्रतिशत के आसपास रहा है। विकास और निवेश में तेजी आई है, उत्पादकता बढ़ी है और भ्रष्टाचार पर लगाम कसी गई है।


