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मौत की सज़ा पाए ईशनिन्दा को दोषी का जेल इतिहास देखेगा पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय

मौत की सज़ा को एक भारी सज़ा समझते हुए पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालयएक ईश निंदा के दोषी के जेल इतिहास को देखेगा।

मौत की सज़ा पाए ईशनिन्दा को दोषी का जेल इतिहास देखेगा पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय
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नई दिल्ली। मौत की सज़ा को एक भारी सज़ा समझते हुए पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालयएक ईश निंदा के दोषी के जेल इतिहास को देखेगा। न्यायालय ने कहा है कि मौत की सजा भारी सजा है, इसलिए दोषी की मानसिक स्थिति की जांच करना आवश्यक है।

ईश निंदा का दोषीइस समय तोबा टेक सिंह जेल में मौत की सज़ा का इन्तज़ार कर रहा है।

पाक मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक मंगलवार को न्यायमूर्ति मुशीर आलम व न्यायमूर्ति दोस्त मुहम्मद खान की दो सदस्यीय पीठ ने अनवर कैनेथ की याचिका पर आदेश दिया था।अनवर कैनेथ को16 साल पहले कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों को ईश निन्दा करने वाले पत्र लिखने के लिए दोषी ठहराया था।

यह मामला 2001 में लाहौर में कैनेथ के खिलाफ दर्ज किया गया था। मुकदमे के दौरानउस व्यक्ति ने अपने अपराध को स्वीकार किया था और अदालत ने उन्हें 8 जुलाई, 2001 को मौत की सजा सुनाई थी।

लाहौर उच्च न्यायालय ने भी30 जून, 2014 को सजा बरकराररखी थी।

यह भी पता चला है कि ट्रायल के दौरान भी दोषी ने कोई वकील नहीं किया था। यहां तक कि जब लाहौर हाईकोर्ट में उसका मुकदमा लड़ने के लिए राज्यकेवकील कोनियुक्तकियागया उसने अपराध से इंकार नहीं किया। हालांकि अपेक्सकोर्ट में अपनी जेल पिटीशन मेंउसने ईशनिन्दा के आरोप को नकार दिया।


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